बात सुनने में ही अजीब लगती है! भला माँ के दूध की कोई कीमत कैसे लगाईं जा सकती है? भारत जैसे देश में जहाँ सदियों से औषधियाँ बनाई और बेचीं जाती हैं, वहाँ भी माँ के दूध का कोई विकल्प बनाने का प्रयास नहीं किया गया। निर्माण करके बेचे जाने वाले सबसे पुराने उत्पादों में से भले ही च्यवनप्राश को गिना जाता हो, लेकिन कुछ वस्तुएं ऐसी भी थीं, जिनका निर्माण कृत्रिम तरीकों से करने की सोचने को ही नीचता माना जाता रहा है। इसके बाद भी बच्चों के स्तनपान से जुड़े आर्थिक पक्ष होते हैं।

आंकड़े क्या कहते हैं?

भारत में एनऍफ़एचएस-5 द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक बच्चों में जल्दी स्तनपान शुरू करवाने की दर 41.8% है और बिहार में ये केवल 31% ही है। बच्चे सिर्फ माँ के दूध पर पल रहे हों ऐसा भारत में 63.7% मामलों में होता है और यहाँ भी बिहार थोड़ा पीछे, केवल 58.9% पर ही है। जन्म के पहले घंटे को “गोल्डन ऑवर ऑफ बर्थ” कहा जाता है और नवजात शिशुओं को इस एक घंटे में माँ का दूध पिलाने के फायदे करीब-करीब सभी डॉक्टर बता देंगे। कभी जानकारी की कमी तो कभी बड़े-बुजुर्गों की बातों को पोंगापंथी साबित करने के नाम पर इसे भी दरकिनार कर दिया जाता हहै। इस तरह लगभग 70 प्रतिशत नवजात शिशुओं को जन्म के पहले घंटे में माँ का दूध मिल ही नहीं पाता! शुरूआती कुछ महीने जब शिशु को केवल माँ का दूध ही आहार के नाम दिया जाना चाहिए, उससे भी 40% शिशु वंचित हैं।

स्तनपान जीवनदायी है

माताओं में स्तनपान को बढ़ावा देकर कमसेकम 823000 शिशुओं की मृत्यु को टाला जा सकता है। डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ, जन्म के एक घंटे के अन्दर ही स्तनपान शुरू करवाने, और छह माह तक के शिशुओं को केवल माँ के दूध का ही आहार देने की सलाह देते हैं।[1] शिशुओं को छह माह का होने के बाद ही पानी, कोई अन्य पेय या आगे चलकर ठोस पदार्थ दिए जाने चाहिए। दो वर्ष तक के शिशुओं को माँ का दूध दिया जाना चाहिए। दो वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु को स्तनपान से 13.8% तक कम किया जा सकता है।[2] बहुत कम आयु में होने वाली मृत्यु का मुख्य कारण डायरिया या श्वास सम्बन्धी संक्रमण होते हैं। ऐसा पाया गया है कि स्तनपान से डायरिया के आधे और श्वास सम्बन्धी संक्रमणों के एक तिहाई तक मामले टाले जा सकते हैं।[3] स्तनों के कैंसर की रोकथाम के लिए भी स्तनपान एक उपाय है।

आर्थिक प्रभाव कैसे पड़ते हैं?

जब बच्चे को माँ का दूध नहीं मिलता तो परिवार पर पशुओं के दूध और फार्मूला मिल्क का अतिरिक्त खर्च आता है। इसके अलावा माँ और बच्चे दोनों के बीमार पड़ने की संभावना भी बढ़ जाती है जिसमें इलाज का खर्च आएगा। स्वास्थ्य सेवाओं पर इसकी वजह से बोझ भी बढ़ता है। स्तनपान को बढ़ावा देकर 823000 बच्चों और 200000 महिलाओं में स्तन के कैंसर को विश्व भर में रोका जा सकता है। केवल भारत में 100000 बच्चों की मौतों को रोका जा सकता है। निमोनिया और डायरिया के भी लाखों मामले केवल स्तनपान को बढ़ावा देकर रोक सकते हैं।

इस तरह देखें तो स्तनपान न करवाने के कारण, स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर शिशु मृत्यु दर तक में होने वाले खर्च तक में 144.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर खर्च होते हैं। भारत के लिए इसका हिसाब जोड़ें तो प्रतिदिन 277 करोड़ रुपये का खर्च स्तनपान करवाने से भारत बचा सकता है। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट कहती है कि स्तनपान के लिए खर्च किये गए प्रत्येक डॉलर से 35 डॉलर का लाभ मिलता है।[4]

*****

[1] www.who.int/health-topics/breastfeeding#tab=tab_2

[2] www.thelancet.com, Volume 387, January 30. 2016, page no: 485

[3] www.thelancet.com, Volume 387, January 30. 2016, page no: 485

[4] blogs.worldbank.org/health/breastfeeding-foundational-investment-human-capital#

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है। Note:- किसी भी तरह के विवाद उत्प्पन होने की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी चैनल या संस्थान या फिर news website की नही होगी लेखक इसके लिए स्वयम जिम्मेदार होगा, संसथान में काम या सहयोग देने वाले लोगो पर ही मुकदमा दायर किया जा सकता है. कोर्ट के आदेश के बाद ही लेखक की सुचना मुहैया करवाई जाएगी धन्यवाद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *