इंदौर, भारत – इंश्योर मार्केटिंग सॉल्यूशंस, बीमा क्षेत्र में एक विश्वसनीय नाम, गर्व के साथ अपनी अभिनव सेवाओं की व्यापक श्रृंखला की घोषणा करता है जिसका उद्देश्य बीमा पेशेवरों के बढ़ने और सफल होने के तरीके को बदलना है। लीड जनरेशन, डिजिटल मार्केटिंग और बीमा एजेंटों और विकास अधिकारियों के लिए उन्नत उपकरणों में विशेषज्ञता रखने वाला, इंश्योर मार्केटिंग सॉल्यूशंस उद्योग को अद्वितीय विशेषज्ञता और प्रौद्योगिकी के साथ सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
इंश्योर मार्केटिंग सॉल्यूशंस के बारे में
2024 में स्थापित, इंश्योर मार्केटिंग सॉल्यूशंस तेजी से विज्ञापन, ब्रांड प्रचार और बीमा क्षेत्र के लिए लीड जनरेशन में अग्रणी बन गया है। विशेषज्ञ लीड जनरेशन सेवाओं, एलआईसी एजेंसी प्रबंधन सॉफ्टवेयर, व्हाट्सएप मार्केटिंग टूल और वेबसाइट विकास सहित एक मजबूत पोर्टफोलियो के साथ, कंपनी ने केवल पांच वर्षों में पूरे भारत में 2 लाख से अधिक लीड प्रदान की हैं।
इंश्योर मार्केटिंग सॉल्यूशंस के सीईओ रोशन लाल कुशवाह ने कहा, “हमारा मिशन बीमा पेशेवरों को प्रतिस्पर्धी बाजार में सफल होने के लिए आवश्यक संसाधनों और रणनीतियों से लैस करना है।” “हम केवल एक सेवा प्रदाता नहीं हैं; हम बीमा उद्योग के लिए एक विकास भागीदार हैं।”
मुख्य सेवाएँ:
लीड जनरेशन सेवाएँ: बीमा एजेंट भर्ती और पॉलिसी बिक्री के लिए अनुकूलित लीड।
डिजिटल मार्केटिंग टूल: अत्याधुनिक व्हाट्सएप मार्केटिंग सॉफ्टवेयर, व्हाट्सएप एपीआई और बल्क एसएमएस समाधान।
बीमा एजेंटों के लिए सॉफ्टवेयर: ब्लिस मोबाइल एजेंट प्रो (बीएमए प्रो) और ब्लिस कॉम्बो (ऑल-इन-वन) जैसे डेटा प्रबंधन ऐप।
वेब डेवलपमेंट: बीमा पेशेवरों के लिए कस्टम वेबसाइट और मोबाइल ऐप।
रणनीतिक विज्ञापन: फेसबुक, गूगल, लिंक्डइन और इंस्टाग्राम पर विजयी अभियान।
बीमा पेशेवरों के लिए अभिनव समाधान
कंपनी की पेशकशों के मूल में ब्लिस कॉम्बो है – एलआईसी सलाहकारों और विकास अधिकारियों के लिए डिज़ाइन किया गया एक ऑल-इन-वन ऐप। यह प्रमुख उत्पाद उन्नत डेटा प्रबंधन को पॉलिसी ट्रैकिंग और लीड जनरेशन जैसी सुविधाओं के साथ जोड़ता है, जो इसे आज के बीमा पेशेवरों के लिए एक आवश्यक उपकरण बनाता है। Google Play Store पर उपलब्ध, ब्लिस कॉम्बो सलाहकारों के अपने ग्राहकों और संभावनाओं को प्रबंधित करने के तरीके को बदल रहा है।
देशभर में बीमा पेशेवरों को सशक्त बनाना
इंदौर में मुख्यालय वाली इंश्योर मार्केटिंग सॉल्यूशंस पूरे भारत में ग्राहकों को सेवाएं देती है। कंपनी की शोध करने और जीतने वाली विज्ञापन रणनीतियों को लागू करने की अद्वितीय क्षमता ने इसे अपने क्षेत्र में अग्रणी बना दिया है। उनके निरंतर नवाचार से यह सुनिश्चित होता है कि बीमा पेशेवरों के पास सफलता के लिए सर्वोत्तम उपकरण और रणनीतियाँ उपलब्ध हों।
हमारे साथ जुड़ें
इंश्योर मार्केटिंग सॉल्यूशंस और हमारी सेवाओं के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया हम वेबसाइट www.insuremarketingsolutions.com पर जाएँ।
मीडिया संपर्क:
रोशन लाल कुशवाहसीईओ, इंश्योर मार्केटिंग सॉल्यूशंसईमेल: info@insuremarketingsolutions.com
इंश्योर मार्केटिंग सॉल्यूशंस के बारे में:
इंश्योर मार्केटिंग सॉल्यूशंस लीड जनरेशन, डिजिटल मार्केटिंग और बीमा क्षेत्र के लिए तैयार किए गए सॉफ़्टवेयर समाधानों ab माहिर है। छह साल से ज़्यादा की विशेषज्ञता के साथ, कंपनी ऐसे सिद्ध परिणाम देती है जो देशभर में बीमा सलाहकारों, विकास अधिकारियों और एजेंसियों के लिए विकास को बढ़ावा देते हैं।
[17:45, 29/1/2025] Jitendra K Sinha: सनातन धर्म में एकादशी को नरक से मुक्ति और मोक्ष दिलाने वाला व्रत माना जाता है
जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 29 जनवरी, 2025 ::
पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में एकादशी तिथि पड़ती है। पुराणों में माघ माह को बड़ा ही पुण्यदायी माना जाता है। इस माह में स्नान और दान करना बेहद उत्तम माना जाता है। मान्यता है कि माघ माह में स्नान, दान और व्रत का फल अन्य महीनों से अधिक मिलता है।
माघ माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी भी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार, इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के अनजाने में किये गए सभी पाप समाप्त हो जाते है और उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इसलिए कहा गया है कि माघ मास में व्यक्ति को पूरे माह अपनी समस्त इन्द्रियों पर काबू रखना चाहिए और काम, क्रोध, अहंकार, बुराई तथा चुगली का त्याग कर भगवान की शरण में रहना चाहिए।
सनातन धर्म में एकादशी व्रत को बहुत ही उत्तम माना गया है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। एकादशी व्रत भक्तिपूर्वक करने से व्यक्ति को कभी भी पिशाच या प्रेत योनि में नहीं जाना पड़ता है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है, इसलिए इस दिन साफ और सच्चे मन से भगवान का गुणगान करना चाहिए और इस दिन अपने गुस्से पर नियंत्रण रख कर मधुर वाणी का प्रयोग करना चाहिए।
मान्यता है कि जो लोग एकादशी व्रत नही करते हैं, उन्हें खान-पान और व्यवहार में सात्विक रहना चाहिए। एकादशी के दिन लहसुन, प्याज, मांस, मछली, अंडा आदि नहीं खाना चाहिए और झूठ, ठगी एवं अन्य तामसी कार्यों का त्याग करना चाहिए।एकादशी के दिन चावल खाना भी वर्जित माना जाता है।
एकादशी व्रत दो प्रकार से रखा जाता है। निर्जला और फलाहारी या जलीय व्रत। निर्जला व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ व्यक्ति को ही रखना चाहिए। सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय व्रत रखना चाहिए।
प्रत्येक माह में 15-15 दिन पर एकादशी आती है। एकादशी का व्रत पाप और रोगों को खत्म कर देता है। वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति को एकादशी नही करना चाहिए लेकिन सभी लोगों को एकादशी के दिन चावल का त्याग अवश्य करना चाहिए। शास्त्र अनुसार एकादशी के दिन जो व्यक्ति चावल खाता है तो उसे एक-एक चावल एक-एक कीड़ा खाने का पाप लगता है। इसलिए एकादशी के दिन व्रत न भी किया हो तो भी चावल का परित्याग अवश्य करना चाहिए।
एकादशी के दिन घर में झाडू भी नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की झाड़ू से मृत्यु होने का भय रहता है। एकादशी व्रत रखने वालों को इस दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए और न ही अधिक बोलना चाहिए, क्योंकि अधिक बोलने से मुख से न बोलने वाले शब्द भी निकल जाते हैं। एकादशी के दिन यथा शक्ति दान करना चाहिए, लेकिन स्वयं किसी का दिया हुआ अन्न आदि कदापि ग्रहण नही करना चाहिए।
सनातन धर्म में माघ माह के एकादशी को नरक से मुक्ति और मोक्ष दिलाने वाला माना जाता है। इस माह में पड़ने वाली एकादशी इस बात को बताती है कि धन आदि की तुलना में अन्नदान सबसे बड़ा दान है। मुनि श्रेष्ठ पुलस्त्य ने दाल्भ्य के नरक से मुक्ति पाने के उपाय के विषय में बताते हुए कहा है कि मनुष्य को माघ माह में अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखते हुए क्रोध, अहंकार, काम, लोभ और चुगली आदि का त्याग कर ही माघ मास के कृष्णपक्ष की एकादशी का व्रत करना चाहिए।
वर्ष 2025 में पड़ने वाली 24 एकादशी में, जनवरी माह में 10 जनवरी को पुत्रदा एकादशी (बैकुंठ एकादशी, द भ) और जनवरी को षट्तिला एकादशी, फरवरी माह में 08 फरवरी को जया एकादशी (भैमी एकादशी, बंगाल) और 24 फरवरी को विजया एकादशी, मार्च माह में 10 मार्च को आमलकी एकादशी और 26 मार्च को भागवत एकादशी, अप्रैल माह में 08 अप्रैल को कामदा एकादशी और 24 अप्रैल को बरुथिनी एकादशी, मई माह में 08 मई को मोहिनी एकादशी और 23 मई को अपरा एकादशी (जलक्रीडा एकादशी, उड़ीसा एवं भद्रकाली एकादशी, पंजाब), जून माह में 06 जून को निर्जला स्मार्त एकादशी और 22 जून को भागवत एकादशी, जुलाई माह में 06 जुलाई को देवशयनी आषाढ़ी एकादशी (रविनारायण एकादशी, उड़ीसा) और 21 जुलाई को कामिका एकादशी, अगस्त माह में 05 अगस्त को पुत्रदा एकादशी (पवित्रा एकादशी) और 19 अगस्त को अजा एकादशी, 03 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी, 17 सितंबर को इंदिरा एकादशी (एकादशी श्राद्ध), सितंबर माह में 03 अक्टूबर को पाशंकुशा एकादशी और 17 अक्टूबर को रमा एकादशी, नवंबर माह में 02 नवंबर को भागवत एकादशी और 15 नवंबर को उत्पत्ती एकादशी, दिसंबर माह में 01 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी (मौनी एकादशी, जैन) और 15 दिसंबर को सफला एकादशी है।
आत्मा के गुण (तीन तत्व) होते है सत्व, रज और तम। जिन व्यक्ति में सतोगुण (सत्व गुण) होता है वह ज्ञानमय होने के कारण भक्ति भाव से युक्त होता है, लेकिन तमोगुणी (तम गुण) और रजोगुणी (रज गुण) को भक्ति भाव उत्पन्न करना होता है। इसलिए व्रत त्योहार करना चाहिए। ऐसे भी संसार के प्रत्येक प्राणी में यह गुण न्यूनाधिक मात्रा में उपलब्ध होते हैं, जिस प्राणी में जिस गुण की अधिकता होती है वह उन्ही लक्षणों की तरह से व्यवहार करता है।
सतोगुण (सत्व गुण) ज्ञानमय होता है। इसलिए सतोगुण (सत्व गुण) में प्रकाश रूप शान्ति होती है। जिस कार्य को करने में मनुष्य के अन्दर सदा इच्छा बनी रहे और वह सन्तोष दायक हो तथा जिसे करने पर मनुष्य को किसी प्रकार की लज्जा न हो उसे ही सतो गुणी कर्म कहते है। प्रवृत्ति के विचार से सतोगुण धर्म मूलक कहा जाता है। सतो गुणी व्यक्ति मे वेदाभ्यास, तप, ज्ञान, शौच, जितेन्द्रियता, धर्मानुष्ठान, परमात्म चिन्तन के लक्षण मिलते है।
तमोगुणी (तमोगुण) अज्ञानमय होता है। इसलिए तमोगुणी (तमोगुण) मोह युक्त विषयात्मक, अविचार और अज्ञानकोटि में आता है। जो कार्म पहले किया गया हो,और अब भी किया जा रहा हो,और आगे करने मे लज्जा का अनुभव हो,उसे तमोगुणी कर्म कहते है। प्रवृत्ति के विचार से तमोगुण काम मूलक, कहा जाता है। तमोगुणी व्यक्ति लोभी, आलसी, अधीर, क्रूर, नास्तिक आचार भ्रष्ट याचक तथा प्रमादी होता है।
रजोगुणी (रज गुण) रागद्वेश मय होता है। इसलिए रजोगुणी (रज गुण) में आत्मा की अप्रतीतिकर दुख और विषयभोग की लालसा होती है। लोक प्रसिद्ध के लिये जो कार्य किये जाते है,उनके सिद्ध न होने पर मनुष्य को दुख होता है, इन्हे ही रजोगुण कर्म कहते हैं। प्रवृत्ति के विचार से रज गुण अर्थमूलक, कहा जाता है। रजोगुणी व्यक्ति के अन्दर सकाम कर्म मे रुचि, अधैर्य, लोकविरुद्ध तथा अशास्त्रीय कर्मो का आचरण और अत्याधिक विषयभोग के लक्षण मिलते है।
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