पहले चाय की दुकान पे सिर्फ ‘चाय’ बिकती थी वो भी एक नम्बर क्वालिटी की।
पहले चाय की दुकान पे सिर्फ ‘चाय’ बिकती थी वो भी एक नम्बर क्वालिटी की। फिर बिस्कुट, टोस्ट भी बिकने…
उन्माद की पत्रकारिता के बिच समाधान ढूंढ़ता
पहले चाय की दुकान पे सिर्फ ‘चाय’ बिकती थी वो भी एक नम्बर क्वालिटी की। फिर बिस्कुट, टोस्ट भी बिकने…
अत्यंत विचारणीय ✍🏻 एक आदमी ने एक विज्ञापन दिया कि उसे उसकी चिन्ता करने वाला एक आदमी चाहिये। वेतन वो…
कभी कभी चीजें जो दिखती है वो होती नहीं है और असल में जो होती है वहाँ तक हमारी सोच…
एक भाई को ट्रेन में बिना टिकट चढ़ने की आदत थी। कभी पकड़े नही गये इसलिये मन भी बढ़ता गया।…