📅 काठमांडू | 21 फरवरी 2025 – अमेरिका द्वारा मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (MCC) फंडिंग को फ्रीज करने के फैसले से नेपाल के विकास कार्यक्रमों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। इस फैसले से अमेरिका, नेपाल और क्षेत्रीय शक्तियों भारत और चीन के बीच भू-राजनीतिक संतुलन प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है।
बैकग्राउंड:
नेपाल ने 2017 में अमेरिका के साथ $500 मिलियन डॉलर के MCC कॉम्पैक्ट पर हस्ताक्षर किए थे, जिसका उद्देश्य बिजली ट्रांसमिशन लाइन और सड़क अवसंरचना का विस्तार करना था। हालांकि, इस परियोजना को नेपाल में राजनीतिक विवादों और अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता के कारण वर्षों तक संसदीय स्वीकृति नहीं मिल सकी।
🚨 नवीनतम घटनाक्रम:
डोनाल्ड ट्रंप के 2025 में अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में सत्ता में लौटने के बाद, नेपाल के वित्त मंत्रालय को MCC द्वारा सूचित किया गया कि अमेरिकी कार्यकारी आदेश के तहत 90 दिनों के लिए सभी फंडिंग रोक दी गई है।
🔹 अमेरिका का संदेश: ट्रंप प्रशासन दक्षिण एशिया में अपनी सहायता नीतियों की समीक्षा कर रहा है।
🔹 नेपाल पर असर: बुनियादी ढांचे से जुड़ी महत्वपूर्ण परियोजनाएं ठप, जिससे देश को आर्थिक और रणनीतिक स्तर पर झटका लग सकता है।
🔹 चीन और भारत की भूमिका: अब सवाल उठता है कि क्या नेपाल की मदद के लिए चीन या भारत आगे आएंगे?
क्या भारत या चीन भर पाएंगे यह शून्य?
⚡ विश्लेषकों की राय:
➡️ संभावित विकल्प: नेपाल के दो प्रमुख पड़ोसी भारत और चीन MCC की जगह फंडिंग देने के विकल्पों पर विचार कर सकते हैं।
➡️ यूएस-आधारित विश्लेषक संजय उपाध्याय का कहना है कि न तो भारत और न ही चीन के पास इस पैमाने की फंडिंग का पूरा भार उठाने की क्षमता या तत्परता है।
➡️ समझौतों में देरी: MCC कॉम्पैक्ट पर भी वर्षों की बातचीत के बाद सहमति बनी थी। नई फंडिंग जुटाना आसान नहीं होगा।
🌍 चीन की रणनीति:
चीन ने शुरुआत से ही MCC को अमेरिकी रणनीतिक योजना का हिस्सा बताया था। अब बीजिंग के पास यह कहने का मौका है कि अमेरिका की प्रतिबद्धताएं भरोसेमंद नहीं हैं।
🇮🇳 भारत की स्थिति:
भारत ने नेपाल के साथ 10,000 मेगावाट पनबिजली आयात समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, भारत इस स्तर की वित्तीय सहायता देने की स्थिति में नहीं है।
“अगर चीन आर्थिक मदद देता है, तो यह भारत के लिए सिरदर्द बन सकता है,” – वरिष्ठ विश्लेषक अजय भद्र खनाल।
नेपाल के लिए बड़े सवाल?
❓ क्या नेपाल अमेरिका के बिना अपनी विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ा सकता है?
❓ क्या यह फंडिंग फ्रीज नेपाल को चीन के करीब धकेल देगा?
❓ भारत की भूमिका क्या होगी – क्या वह नेपाल को चीन के प्रभाव से दूर रख पाएगा?
नेपाल को अपनी विदेश नीति को मजबूत करने और सभी प्रमुख शक्तियों के साथ संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता होगी।
📌 आपकी राय क्या है? क्या नेपाल के लिए यह बड़ा संकट बन सकता है? कमेंट में बताएं!