बाबा ओशो कहते ठीक ही थे ! आज कीसी को ज्ञान मोक्ष कह कर देखिये कहेगा इसकी अभी उम्र हुई नही है , वास्तविकता क्या है ? चलो अब कुछ होगा नही तो प्रभु का ही ध्यान कर लेते हैं ऊर्जा बची कहाँ है गुरु ?
ऊर्जा ही ऊर्जा को पैदा कर सकता है तुम खुद शक्तिहीन होकर शक्ति को प्राप्त कैसे कर सकते हो ? कर्म ही धर्म है फिर थोडा बहुत अध्यात्म के लिए समय निकाल लीजिये यहाँ पर धार्मिक होना गलत नही है धार्मिक होने का अर्थ है आप किसी भी पुस्तक को पढ़ सकते हैं चाहे वो गीता हो या कुरआन !
किसी भी धर्म को पढना धार्मिकता नही है धार्मिक का अर्थ है धर्म को पढ़कर उसको फॉलो करना आप कोई भी किताब पढ़िए अगर उसको जीवन में उतार नही सकते तो वो व्यर्थ था या है. किसी पुस्तक में लिखा है यही सत्य है और किसी में लिखा है ये सत्य है फिर सत्य क्या है ?
इसकी खोज करनी होगी आपको मतलब पुस्तको को पढ़कर उसको जीवन में लागू करने से आपके जीवन पर क्या प्रभाव पर रहा है !
अब आप कहेंगे इतना कौन पढ़ेगा ठीक बात है तो एक काम कीजिये एक दिन भगवद गीता के किसी श्लोक को जो आपको ठीक लगे उसे जीवन में उताड़ लीजिये फिर कुरआन फिर बाइबल और फिर अन्य अब जिससे लाभ हो रहा है वही सत्य है। बाद बांकी सब मोह माया और ढोंग है।
समस्या गुरु यह है की #hinduism को छोड़कर कोई भी अन्य धर्म आपको ऐसा करने की आजादी नही देता है ! अगर देता है तो आप भी कीजिये. हिन्दू धर्म का रिलिजन शब्द से कोई लेना देना ही नही है. खुलने का मतलब है हिदू , हिन्दू कौन है ? जो खुलकर जीता है. हिन्दू कौन है ? जो गलत होने पर अपने ही लोगो को दंड देने से नही चुकता. हिन्दू पक्षपाती नही हो सकता. हिन्दू तार्किक है लोकतांत्रिक है . हिन्दू एक विचारधारा है एक सोंच है एक जीवन जीने का तार्किक तरीका है. हमारे मित्र ने एक दिन मुझसे कहा की आप देखते हैं दुसरे जाती या मजहब के लोग आपस में एक दुसरे पर ऊँगली नही उठाते गलत होने पर भी खामोश रहते हैं.
मैंने हंस कर कहा शायद वो हिन्दू नही है हिन्दू का अर्थ ही है सेक्युलर होना. गलत होने पर महाभारत एक ही जाती के लोगो ने किया था शायद वो भूल गये असल में असत्य पर सत्य की जीत हिंदुत्व के मूल सिन्धान्तो में से एक है सत्यमेव जयते मतलब हिंदुत्व ही है और कुछ भी नही.
सत्य सनातन साधुनाम .
बहरहाल निचे जो बाबा है उनको रजनीश ओशो कहा गया है अब इनको सिधान्त्वादी और न जाने क्या क्या बताया गया है मगर जितना समझा और जितना पढता हु ओशो को भगवद गीता और अधिक जिवंत होता है कहने का मतलब है ओशो ने सरलता के साथ भगवद गीता को वाचने का काम किया है और कुछ भी नही बहरहाल ओशो के चाहने वाले मुझसे कभी कभी तर्क करने लगते है मगर उन तर्कों को जब भगवद गीता के किसी श्लोक पर हम चढ़ा देते हैं तब वो बगले झांकते नजर आते हैं अंत में वो भाग खड़े होते हैं .
सोशल मीडिया का एक कल्चर है की तुम अपनी बात पर अड़े रहो नही तो लोग तुम्हे भला बुरा कहेंगे . डर ज्ञान के समावेश को रोक कर खड़ा हो जाता है . समझदार लोग भी अरिअल स्वभाव के हो जाते हैं क्योंकि उन्होंने जिस झूठ के बुनियाद पर अपना किला बनाया है वो एक दिन सत्य बोलने से गिर जाएगा यही डर आपके सत्य की खोज का बाधक है .
तार्किक लोग जब समझ जाते हैं की इसका कोई जबाब नही जब वो नंगे हो जाते हैं तब वो भाग खड़े होते हैं अगर वो कोई बड़ा आदमी है जिसने झूठ की बुनियाद पर महल बनाया है तो सबसे पहले वो आपको ब्लाक कर देगा . वास्तव में वो सत्य से भाग रहा होता है . क्योंकि झूठे लोग अत्यधिक संख्या में उससे जुड़ चुके होते हैं .
आज जो मै कह रहा हु हो सकता है की कुछ दिनों बाद इससे और अधिक जोड़ दू मगर ताजमहल को आगरा से दिल्ली तक जो ले जाए समझ लीजिये वो बदल रहा है और जो उसकी और खासियत और व्याख्या करे समझ लीजिये वो अपग्रेड हो रहा है अब होना क्या है बदलना है या अपग्रेड होना है तय आपको ही करना पड़ेगा
हरे कृष्णा राधे राधे