पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों ने शिकायतकर्ता से 34 लाख रुपये से अधिक की ठगी की है। शिकायतकर्ता ने शुरुआत में आरोपियों के बताए गए एक ऐप के जरिए 26 लाख रुपये का इनवेस्टमेंट किया था। ऐप पर उन्हें मुनाफा दिख रहा था लेकिन वह रकम को निकाल नहीं पा रहे थे। शिकायतकर्ता ने इसके बाद रकम को निकालने के लिए आरोपियों को अतिरिक्त भुगतान किया लेकिन इसके बाद भी रकम लेने में नाकाम रहने पर उन्हें ठगी का पता चला और उन्होंने लगभग दो महीने पहले सायबर सेल के पास शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने शिकायकर्ता की बैंक ट्रांजैक्शंस से जुड़ी डिटेल्स हासिल की, जिससे यह पता चला कि उनके एकाउंट से रकम को 29 बैंकों के कई करंट एकाउंट्स में ट्रांसफर किया गया है।
इन एकाउंट्स को खोलने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया था। इसके बाद पुलिस ने कुछ आरोपियों को मुंबई से गिरफ्तार किया। उनसे पूछताछ में पता चला कि उन्हें जाली दस्तावेजों से बैंक एकाउंट्स खोलने और सिम कार्ड्स उपलब्ध कराने के लिए कुछ रकम दी जा रही थी। पुलिस ने इस मामले में दो बैंक एंप्लॉयीज को भी गिरफ्तार किया है। ये आरोपियों की मदद कर रहे थे। हालांकि, इस मामले का सरगना फरार है और पुलिस उसे पकड़ने की कोशिश कर रही है।
ऐसे अपराधों पर नियंत्रण के लिए बहुत से राज्यों में पुलिस की सायबर डिविजन बनाई गई हैं। इसी महीने हरियाणा में ऐसे 27,824 फोन नंबर्स की पहचान की गई है जिनका इस्तेमाल सायबर अपराधों के लिए किया जा रहा है। इन फोन नंबर्स को जल्द ब्लॉक किया जाएगा। इन फोन नंबर्स की पहचान सायबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर और कंप्लेंट पोर्टल के जरिए की गई है। इन फोन नंबर्स की डिटेल्स फील्ड यूनिट्स को भेजी गई हैं, जिससे इन्हें होम मिनिस्ट्री के तहत आने वाले सायबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर के सायबरसेफ पोर्टेल पर अपलोड कर ब्लॉक किया जा सकेगा। इन नंबर्स में से सबसे अधिक गुरूग्राम (7,142) के हैं। इसके बाद फरीदाबाद (3,896) है। राज्य के पंचकूला, सोनीपत, रोहतक, हिसार और अंबाला में जिलों में भी सायबर क्राइम के लिए इस्तेमाल हो रहे मोबाइल नंबर्स की बड़ी संख्या है।
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