महामारी के दौरान टेक कंपनियों का बिजनेस तेजी से बढ़ा था और इसका असर उनके वैल्यूएशंस पर भी दिखा था। इस वर्ष इन्फ्लेशन और इंटरेस्ट रेट्स में बढ़ोतरी से इन कंपनियों के वैल्यूएशंस में काफी गिरावट आई है। मेटा के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर, Mark Zuckerberg ने एंप्लॉयीज को मैसेज में बताया, “मैक्रो इकोनॉमिक स्थितियों के कमजोर होने, कॉम्पिटिशन बढ़ने और विज्ञापनों में कमी से हमारा रेवेन्यू अनुमान से बहुत कम रहा है। मुझसे गलती हुई है और मैं इसकी जिम्मेदारी लेता हूं।” उन्होंने कहा कि कंपनी को अपने रिसोर्सेज AI, विज्ञापनों और मेटावर्स प्रोजेक्ट जैसे ग्रोथ की अधिक संभावना वाले एरिया में लगाने की जरूरत है।
कंपनी से हटाए जाने वाले स्टाफ को 16 सप्ताह की बेस पे के साथ ही प्रत्येक वर्ष की सर्विस के लिए दो अतिरिक्त सप्ताह की बेस पे दी जाएगी। इसके अलावा छह महीने की हेल्थकेयर कॉस्ट का भी कंपनी भुगतान करेगी। मेटा ने बताया कि वह गैर जरूरी खर्च को घटाने के साथ ही अगले वर्ष की पहली तिमाही तक हायरिंग को रोकने की भी योजना बना रही है।
मेटा ने कई वर्षों से लगातार ग्रोथ की थी लेकिन इस वर्ष की शुरुआत में उसके प्रति दिन के यूजर्स में पहली बार कमी हुई थी। कंपनी की शुरुआत से यह पहली बार है कि जब इतनी बड़ी संख्या में स्टाफ को बाहर किया जा रहा है। Zuckerberg ने एनालिस्ट्स को बताया था, “यह मुश्किल दौर है और मुझे कम रिसोर्सेज के साथ अधिक काम करने की उम्मीद है।” इकोनॉमिक स्लोडाउन के कारण बड़ी टेक कंपनियों के बिजनेस पर असर पड़ा है। इस वजह से मार्केटिंग के बजट में भी कमी की जा रही है। बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों में शामिल Amazon ने भी इस वर्ष वर्कफोर्स घटाने की घोषणा की थी। जकरबर्ग को कंपनी की रीब्रांडिंग और मेटावर्स पर फोकस बढ़ाने से भारी नुकसान हुआ है। इस वर्ष उनकी वेल्थ लगभग आधी कम हो गई है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।