इस टीम की अगुवाई फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी (PRL), अहमदाबाद के प्रोफेसर Abhijit Chakraborty ने की थी। यह भारत और PRL के वैज्ञानिकों की ओर से खोजा गया तीसरा एक्सपोप्लैनेट है। इस खोज के निष्कर्षों को जर्नल एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स लेटर्स में प्रकाशित किया गया है। इस टीम में भारत के अलावा अमेरिका, जर्मनी और स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिक शामिल थे। इन वैज्ञानिकों ने राजस्थान के माउंट आबु में PRL के एडवांस्ड रेडियल-वेलोसिटी आबु स्काई स्पेक्ट्रोग्राफ का इस्तेमाल इस प्लैनेट के घन को मापने के लिए किया था। इस एक्सपोप्लैनेट का घन 14 g/cm3 है।
TOI4603 या 245134 कहे जाने वाले तारे की परिक्रमा करने वाले इस प्लैनेट की धरती से दूरी 731 लाइट ईयर्स की है। यह अपने तारे की प्रत्येक 7.24 दिन में परिक्रमा करता है। इस प्लैनेट पर तापमान बहुत अधिक है। इसका तापमान 1,396 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बताया है कि यह खोज कुछ अलग है क्योंकि इस प्लैनेट का घन बहुत बड़े प्लैनेट्स और कम घन वाले प्लैनेट्स के बीच है। इन प्लैनेट्स का घन ज्युपिटर के घन से 11 से 16 गुना है और कुछ ही एक्सपोप्लैनेट्स का घन के इस दायरे में होने का पता चला है।
इस एक्सपोप्लैनेट को TOI 4603b कहा जा रहा है और यह अपने तारे के बहुत निकट से चक्कर लगाने वाले सबसे बड़े और घने प्लैनेट्स में शामिल है। यह जिस दूरी पर अपने तारे का चक्कर लगाता है वह हमारी धरती और सूर्य के बीच दूरी के दसवें हिस्से से भी कम है। ISRO का कहना है कि इस तरह के प्लैनेट्स की खोज से बड़े एक्सपोप्लैनेट्स के बनने और बदलने के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है। इस वर्ष की शुरुआत में स्पेस टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स की ग्रोथ को बढ़ाने के लिए ISRO और ग्लोबल सॉफ्टवेयर कंपनी Microsoft ने एक एग्रीमेंट किया था। इसके तहत इन स्टार्टअप्स को टेक्नोलॉजी, मार्केट से जुड़ी मदद और मेंटरिंग के जरिए मजबूत बनाया जाएगा।
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