लाइव साइंस के अनुसार, नया ओमिक्रॉन स्पाइक-कैरिंग वायरस, ओमिक्रॉन वैरिएंट से स्पाइक प्रोटीन को मूल SARS-CoV-2 वायरस से जोड़कर बनाया गया है। बताया जाता है कि इससे संक्रमित 80% चूहे लैब में मर गए। इससे यह मूल ओमिक्रॉन वैरिएंट से भी ज्यादा गंभीर हो गया है। इसके मुकाबले मूल ओमिक्रॉन वैरिएंट ने किसी चूहे को नहीं मारा था। हालांकि नया हाइब्रिड वायरस उस वायरस से कम घातक था, जो वुहान में था और जिसने 100 फीसदी लैब के चूहों को मार डाला था।
रिसर्चर्स का कहना है कि चूहों में ओमिक्रॉन हल्के और गैर घातक संक्रमण का कारण बनता है। वहीं, हाइब्रिड वायरस 80 फीसदी मृत्यु दर के साथ गंभीर बीमारी शुरू करता है। रिसर्चर्स का कहना है कि स्पाइक प्रोटीन संक्रामता के लिए जिम्मेदार है। इसकी संरचना में बदलाव से यह ज्यादा घातक हो जाता है। रिसर्चर्स ने अपनी फाइंडिंग्स को 14 अक्टूबर को प्रीप्रिंट डेटाबेस bioRxiv पर पब्लिश किया है। इनका पियर-रिव्यू होना बाकी है।
हालांकि तमाम मीडिया रिपोर्टों में इस रिसर्च पर सवाल उठाए जा रहे हैं। रिसर्च को खतरनाक बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस रिसर्च ने एक खतरनाक वैरिएंट को जन्म दे दिया है। अब रिसर्चर्स ने अपना पक्ष रखा है। एक बयान में बोस्टन यूनिवर्सिटी ने कहा है कि यह रिसर्च गेन-ऑफ-फंक्शन रिसर्च नहीं है। इसका मतलब है कि इसने वाशिंगटन में SARS-CoV-2 वायरस के तनाव को नहीं बढ़ाया या इसे और अधिक खतरनाक नहीं बनाया। इस शोध ने वायरस को कम खतरनाक बना दिया। एनईआईडीएल के डायरेक्टर रोनाल्ड बी. कॉर्ली ने कहा है कि मीडिया रिपोर्टों ने ‘मैसेज को सनसनीखेज बना दिया’ और ‘स्टडी और इसके लक्ष्यों को पूरी तरह से गलत तरीके से प्रस्तुत किया।’
लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।