डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, इस पक्षी को 234684 के नाम से जाना जाता है। यह उन कई पक्षियों में से एक है, जिसे वैज्ञानिकों ने 5G सैटेलाइट टैग से अटैच किया था। इन पक्षियों के प्रवास के पैटर्न को ट्रैक करने के लिए अलास्का में इन्हें सैटेलाइट टैग से अचैट किया गया था। पुकोरोकोरो मिरांडा शोरबर्ड सेंटर (Pukorokoro Miranda Shorebird Centre) ने अपने फेसबुक पेज पर बताया है कि 234684 नाम वाले इस गॉडविट ने 13 अक्टूबर को अलास्का से उड़ान भरी थी और निश्चित रूप से यह तस्मानिया तक बिना रुके हुए सफर करता रहा।
Wonderful news on ultramarathon flying Bar-tailed Godwits. Satellite tracked bird has flown NONSTOP from Alaska to Tasmania for the first time! What a trip! Thanks @miranda_trust, Max Planck Institute and others for this work drawing our world together. Nature is wild! 1/2 pic.twitter.com/NnT0QtLCUx
— Andrew Darby (@looksouth) October 24, 2022
हालांकि ऐसा पहली बार नहीं होगा, जब किसी गॉडविट ने इतना लंबा सफर तय किया होगा। हालांकि ऐसा पहली बार हुआ है जब एक टैग किया गया पक्षी अलास्का और ऑस्ट्रेलिया के तस्मानिया के बीच उड़ा है। एक लोकल बर्डवॉचर अब इसे देखने के लिए ‘एन्सन्स बे’ की ओर जा रहा है। हालांकि भारी बारिश की वजह से साइट पर पहुंचने में परेशानी आ रही है।
सफर के दौरान गॉडविट के रास्ते में वानुअतु और न्यू कैलेडोनिया समेत ओशिनिया द्वीप भी आए थे। पक्षी वहां रुक सकता था, लेकिन इसने सीधे तस्मानिया तक उड़ान भरी। ऐसा करके इसने पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया है, जो 4BBRW नाम के एक वयस्क गॉडविट ने बनाया था। साल 2021 में उस गॉडविट ने 13,050 किमी का सफर तय किया था।
बर्डलाइफ तस्मानिया के एक एक्सपर्ट ‘एरिक वोहलर’ ने कहा कि दिन और रात में लगातार उड़ने से इस पक्षी के शरीर का वजन आधा या उससे भी कम हो गया है। 234684 के लिए यह उड़ान खतरे से खाली नहीं थी, क्योंकि यह प्रजाति पानी पर उतरने में असमर्थ है। अगर कोई गॉडविट पानी पर उतरता है, तो वह मर जाता है। सफर के दौरान अगर यह गॉडविट थकने की वजह से पानी में गिर जाता या खराब मौसम उसे समुद्र में रोकता, तो उसकी जान नहीं बचती।
बहरहाल, उड़ान पूरी करने के बाद अब पक्षी अपना वजन दोबारा हासिल कर लेगा। ऑस्ट्रेलिया के तटीय और मीठे पानी के वेटलैंड्स इन प्रवासी बर्ड्स के लिए आराम करने और भोजन के क्षेत्र हैं। सर्दियों के मौसम में यह यूरोप से लेकर अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में अपने दिन बिताते हैं।