रात में जागने वाले लोगों के लिए एक नई स्टडी सामने आई है। जिसमें कहा गया है कि जो लोग रात में देर तक जागते हैं वो अपनी इस एक आदत के कारण जल्दी नहीं मरते हैं, बल्कि उनकी रोजमर्रा की आदतों का इसमें ज्यादा हाथ होता है। इसका मतलब देर तक जागने की आदत को जल्दी मौत होने से इतना लेना-देना नहीं है, जितना कि लाइफस्टाइल से है। फिनलैंड में यह शोध किया गया है। जिसमें 23 हजार लोगों के 37 साल के डेटा को लेकर स्टडी की गई।
इसमें पता लगाया गया कि रात में जागने के कारण क्या कुछ दशकों में ही इन्सान की मौत हो सकती है? इससे पहले इस विषय पर जो स्टडी सामने आईं थीं, उनमें कहा गया था कि रात में जागने से आदमी की मौत जल्दी नजदीक आ जाती है और उसका व्यवहार भी ठीक नहीं रहता है। Chronobiology International में अब यह नई स्टडी प्रकाशित हुई है।
37 साल की यह रिसर्च 2018 में पूरी हुई बताई जा रही है। इस दौरान रिसर्च में शामिल 8700 लोगों की मौत भी हो गई। भागीदारों से सवाल किया गया था कि क्या वे सुबह जल्दी उठने वाले इन्सान हैं, या थोड़ा लेट उठते हैं, या फिर पूरी रात ही जागते रहते हैं। सवाल के जवाब में जिन्होंने कहा कि वे पूरी रात जागते रहते हैं, उनमें जल्दी मौत का रिस्क 21% अधिक पाया गया, उन लोगों की अपेक्षा जो रात में अच्छी तरह सोकर सुबह जल्दी उठ जाते हैं।
लेकिन कहानी में नया मोड़ तब आया, जब शोधकर्ताओँ ने इसमें बॉडी मास इंडेक्स (BMI), स्लीप ड्यूरेशन, एजुकेशन लेवल, पुराने रोग, शराब का सेवन, धूम्रपान जैसे कारकों को शामिल किया। इसके बाद पाया गया कि सिर्फ रात में जागने से होने वाली मौतों का प्रतिशत केवल 9 ही रह गया। कुल मिलाकर शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि रात में जागना मौत का उतना बड़ा कारण नहीं है, जितना कि लोगों का लाइफस्टाइल इसके लिए जिम्मेदार होता है। इसलिए लम्बे, स्वस्थ जीवन के लिए सेहत का ध्यान रखना सबसे जरूरी माना गया है और लाभकारी आदतों को अपनाने की ही सलाह दी जाती है।