रिपोर्ट के अनुसार, इस एस्टरॉयड का नाम ‘3200 फेथॉन’ (3200 Phaethon) है। यह लगभग 5.4 किलोमीटर चौड़ा है। सूर्य का चक्कर लगाते हुए यह एस्टरॉयड उसके पास 20.9 मिलियन किलोमीटर तक पहुंच जाता है। यह सूर्य से बुध की दूरी का आधा है। यह एस्टरॉयड पृथ्वी के भी काफी करीब से गुजरता है। इसी वजह से इसे ‘संभावित रूप से खतरनाक’ माना जाता है। हाल फिलहाल में यह एस्टरॉयड हमारे पृथ्वी के सबसे करीब साल 2017 में आया था। तब दोनों के बीच दूरी 10.3 मिलियन किमी रह गई थी।
अब अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के डिवीजन फॉर प्लैनेटरी साइंसेज सम्मेलन में रिसर्चर्स के एक समूह ने खुलासा किया है कि फेथॉन में एक त्वरित स्पिन (accelerating spin) है। अंतरिक्ष चट्टान एक पूर्ण चक्कर लगाने में लगभग 3.6 घंटे का समय लेती है, लेकिन हर साल वह स्पिन लगभग 4 मिलीसेकंड छोटा हो जाता है। भले ही यह बहुत ज्यादा नहीं लगता है, लेकिन हजारों-लाखों साल में एस्टरॉयड की कक्षा बदल सकती है।
फेथॉन का पता सबसे पहले साल 1983 में चला था। वैज्ञानिकों का कहना है कि किसी एस्टरॉयड के चक्करों में परिवर्तन होना बहुत ही असामान्य है। फेथॉन ऐसा 11वां एस्टरॉयड है, जिसे एक त्वरित स्पिन के साथ देखा गया है। यह एस्टरॉयड कई और मामलों में भी अजीब है। मसलन- इसकी एक धूमकेतु जैसी पूंछ है। मलबे के टुकड़ों से बनी इस पूंछ के टूटने से हर साल पृथ्वी पर उल्काओं की बौछार दिखाई देती है।
यह स्पष्ट नहीं है कि फेथॉन की घूमना क्यों तेज हो रही है। भले ही इसकी पूंछ की वजह से इसका द्रव्यमान कम हो रहा हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इसकी स्पिन बदल जाएगी। हालांकि रिसर्चर्स का मानना है कि एस्टरॉयड की सतह सोलर रेडिएशन से प्रभावित हो रही है, जो इसकी स्पिन को बदल रही है। लेकिन इस तथ्य को साबित करना मुश्किल है।
फेथॉन की इन्हीं बातों के कारण जापान की स्पेस एजेंसी ने इसे अपना अगला टार्गेट चुना है। एजेंसी साल 2024 में एक अंतरिक्ष यान को लॉन्च करेगी जो 2028 में फेथॉन को टार्गेट करेगा। रिसर्चर्स ने कहा है कि जापानी एजेंसी के मिशन के लिए फेथॉन से जुड़ी नई खोज बहुत काम की होगी।