पटना, 23 जून सामाजिक संगठन दीदीजी फाउंडेशन के कुरथौल स्थित फुलझड़ी गार्डन में संचालित संस्कारशाला में सिलाई केन्द्र के जरिये महिलायें आत्मनिर्भर बन रही हैं।
दीदीजी फाउंडेशन की संस्थापिका डा. नम्रता आनंद ने बताया कि संस्कारशाला में महिलाओं को नि.शुल्क सिलाई का प्रशिक्ष्ण दिया जाता है, जिससे वे आम्मनिर्भर बन सकें। संस्कारशाला में 15 से अधिक बैच हो चुके हैं, जिसमें 500 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। संस्कारशाला में महिलाओं को तीन महीने तक सिलाई का प्रशिक्षण दिया जाता है।उन्होंने बताया कि संस्कारशाला में महिलाओं को सिलाई का काम सिखाकर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। महिलाएं सिलाई सीखकर अब खुद सक्षम बन रही है। खुद आत्मनिर्भर बनने के साथ ही ये महिलाएं दूसरी महिलाओं को भी हुनर सिखाकर आत्मनिर्भर बना रही है।महिलाओं को सिलाई प्रशिक्षण के दौरान कटिंग, टेलरिंग का काम सिखाया जा रहा है। इसमें कम इनवेस्टमेंट में अच्छी आय प्राप्त की जा सकती है। महिलाएं अपने हाथ के हुनर के बल पर अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकती हैं।
डा. नम्रता आनंद ने बताया कि सिलाई केंद्र के माध्यम से जरूरतमंद महिलाओं को निशुल्क सिलाई कार्य सिखाकर आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है। यह महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम में पत्थर का मील साबित होगा। आज के समय में महिलाओं को परिवार के आर्थिक संबल प्रदान करने की महती आवश्यकता है। इस कार्य को सीखकर ये महिलाएं स्वयं आत्मनिर्भर बन परिवार में आर्थिक मजबूती प्रदान करेंगी। उन्होंने बताया कि महिलाएं जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, तथा कहीं अन्य स्थान पर जाकर रोजगार नहीं कर सकती। ऐसे में दीदीजी फाउंडेशन ने उन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कारगर कदम उठाए हैं।
डा. नम्रता आनंद ने बताया कि महिलायें सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने घर में ही बैठकर सिलाई कार्य करके अपना जीवन उपार्जन कर सकती है।
सिलाई का काम महिलाओं के लिए यह बहुत ही अच्छा व्यवसाय और आत्मनिर्भर होने के लिए अच्छा विकल्प है।ऐसे में इसे उद्योग के रूप में चुनकर खुद को उद्योग क्षेत्र में एक सफल महिला के रूप में स्थापित कर सकती हैं। जिसके अंदर सिलाई करने का गुण है वह सिलाई उद्योग का चुनाव कर सकती है।महिलाएं दि आत्मनिर्भर बनेंगी तो अपने परिवार की आर्थिक उन्नति का आधार बनेंगी, साथ ही महिलाओं के भीतर स्वाभिमान भी पैदा होगा। सिलाई-कढ़ाई एक ऐसा हुनर है जिससे महिलाएं और किशोरिया कामकाज के दौरान बचने वाले समय का सदुपयोग कर अपना एवं अपने परिवार का भविष्य बेहतर बना सकती हैं।

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