पटना:06/08/2023

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पटना (आईआईटी, पटना) ने अपना पन्द्रहवां स्थापना दिवस 6 अगस्त 2023 को मनाया। पिछले डेढ़ दशकों में आईआईटी पटना ने प्रगति की नयी मंजिलें तय की हैं जिनमें शिक्षा, शोध, नयी खोज, विज्ञान, प्रद्योगिकी एवं तकनीक, उद्यमिता जैसे कई क्षेत्रों में काफी काम हुए हैं।

वर्ष 2008 में आईआईटी की स्थापना के बाद से अब तक के 15 वर्षों में देश के तकनीकी विकास में आईआईटी पटना अभिन्न योगदान रहा है। विभिन्न क्षेत्रों में आईआईटी पटना ने कई मील के पत्थर पार कर लिए हैं।

इस अवसर पर मासायुमे इंडिया के सहयोग से इंडो-जापान सेण्टर ऑफ एक्सल्लेंस (सीओई) का उद्घाटन ताकाशी सुजुकी, जेट्रो (जेईटीआरओ) के चीफ डायरेक्टर जनरल ने मुख्य अथिति के रूप में किया। मौक़े पर आईआईटी पटना के निदेशक प्रो. (डॉ.) टीएन सिंह, आईआईटी दिल्ली से प्रो. योशिरो अजुमा, केइजी नाकाजिमा (भूतपूर्व सीएमडी, सुमिटोमो इंडिया, हरियाणा सरकार एवं डीएमआईसी के सलाहकार), आईआईआरएम हैदराबाद के निदेशक डॉ. सुरेश माथुर जैसे गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे। इस सीओई केंद्र की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले जयकांत सिंह (मासायुमे इंडिया के सह-संस्थापक) एवं विनोद सिंह परिहार (मासायुमे के सह-संस्थापक एवं डोरंडा-जापान काबुशिकी कैषा के निदेशक) भी आईआईटी, पटना में मौजूद रहे।

यह इंडो-जापान सीओई (निहोन नो हाको) संस्थागत एवं एसएमई के स्तर पर संस्थागत सहयोग को बढ़ाने में मदद करेगा। इससे भारत और जापान के बीच निम्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने की संभावना है –

• सरकार से सरकार के बीच
• संस्थानों और संस्थानों के बीच
• व्यापार और व्यापार के बीच
• तथा एक देश के दूसरे देश के नागरिकों के बीच उपरोक्त कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए आईआईटी पटना एवं मासायुमे इंडिया ने जापानी भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू कर रहा है, जो जापानी भाषा के कौशल की जांच के जेएलपीटी नियमों के अनुरूप शिक्षा मंत्रालय (मोम्बुशो), जापान के अंतर्गत कार्य करेगा। संभावना है कि 17 अगस्त 2023 से इसका पहला बैच आरंभ हो जायेगा जिसमें सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त जापानी भाषा प्रशिक्षक छात्रों को प्रशिक्षण देंगे।

• अकादमिक क्षेत्र में सहयोग हेतु शिक्षण संस्थानों के शिक्षण संस्थानों से सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए हब का निर्माण, साथ ही एसएमई के एसएमई और लोगों के लोगों से सहयोग को बढ़ावा देने का भी प्रयास किया जायेगा।

• जापान के लिए बिहार को एक निवेश के हब के रूप में विकसित करना

• बिहार से पलायन करके कहीं और काम ढूँढने के लिए निकलते युवाओं के लिए जापान को एक अच्छे विकल्प के रूप में प्रस्तुत करना

• नए स्टार्टअप/ इन्क्युबेशन /नए शोध, सहकारिता, जॉइंट वेंचर इत्यादि को बढ़ावा देना

इस अवसर पर आईआईटी पटना के निदेशक प्रो. (डॉ.) टीएन सिंह ने कहा कि दो देशों के बीच इस प्रकार के संबंधों से तकनीक और ज्ञान के आदान प्रदान के नए अवसर पनपते हैं और ज्ञान की परम्परा को आगे बढ़ाना ही आईआईटी को उसकी पहचान देता है। साथ ही उन्होंने जोड़ा कि ऐसे सहयोग और सीओई की स्थापना रोजगार के नए अवसरों को भी जन्म देती है, जो कि भारत के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।

डॉ लिम चोंग फुंग ने कहा कि सांस्कृतिक और धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से बिहार और जापान के सम्बन्ध सुदृढ़ रहे हैं। तकनीक और अकादमिक क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाकर हम अपने पुराने संबंधों को ही और प्रगाढ़ कर रहे हैं।

अन्य विभिन्न अतिथियों ने आज आईआईटी पटना में आरंभ हुए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के विभिन्न आयामों एवम् पहलुओं पर प्रकाश डाला।

तत्पश्चात भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के 15 वें स्थापना दिवस के सेलिब्रेशन का आयोजन किया गया । जिसमें उपस्थित अतिथियों ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के 2008 से 2023 तक के इतिहास को संक्षिप्त एवं इंपैक्टफुल तरीके से बताया। इसके बाद संस्थान के छात्र छात्राओं ने अपने सांस्कृतिक प्रदर्शन से उपस्थित सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है। Note:- किसी भी तरह के विवाद उत्प्पन होने की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी चैनल या संस्थान या फिर news website की नही होगी लेखक इसके लिए स्वयम जिम्मेदार होगा, संसथान में काम या सहयोग देने वाले लोगो पर ही मुकदमा दायर किया जा सकता है. कोर्ट के आदेश के बाद ही लेखक की सुचना मुहैया करवाई जाएगी धन्यवाद

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