पटना 18 जून: चन्द्रगुप्त इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट पटना ने “सामाजिक नीतियां और प्रबंधन” विषय पर जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय काॅन्फ्रेंस का आयोजन किया। 17 एवं 18 जून को सीआईएमपी कैंपस में आयोजित इस कांफ्रेंस के दौरान दोनों संस्थाओं के बीच बिहार सरकार के चीफ सेक्रेट्री ब्रजेश मेहरोत्रा की उपस्थिति में एक एमओयू पर भी हस्ताक्षर किया गया। इस समझौते के तहत साझा शोध कार्यक्रमों के अलावा छात्र-छात्राओं का एक संस्थान से दूसरे संस्थान में शैक्षणिक गतिविधियों हेतु आना-जाना संभव होगा।
कार्यक्रम के दूसरे दिन पहले सत्र में “स्वास्थ्य, शिक्षा एवं वैश्विक स्तर समेत भारत में गरीबी उन्मूलन में नीतियों का महत्व” विषय पर अलग-अलग संस्थानों से आये विशेषज्ञों ने प्रस्तुतियां दीं। ‘मतदाता एवं चुनाव प्रक्रिया में जवाबदेही’ विषय पर जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर चार्ल्स हांक्ला ने पेरू में किए अपने अध्ययन के ज़रिए समझाने का प्रयास किया कि जनप्रतिनिधियों द्वारा सार्वजनिक सेवाओं पर किए जाने वाले ख़र्च का जनप्रतिनिधि को वापस बुलाने (रिकाॅलिंग) या पुनः जनता द्वारा चुने में बड़ी भूमिका होती है। जॉर्जिया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की प्रोफेसर अंजलि थॉमस ने सार्वजनिक सुविधाओं तक पहुँच को लेकर मुंबई के 153 झुग्गियों में किए अपने शोध अध्ययन को प्रस्तुत किया। उन्होंने समाज के सबसे वंचित लोगों के लिए पीने का पानी जैसी बुनियादी सुविधा उपलब्ध करवाने में सरकारी तंत्र और राजनैतिक नेतृत्व समायोजन के बेहतर परिणाम को दर्शाया।
आईआईपीए के प्रो. वीएन आलोक ने स्थानीय निकायों में जमीनी स्तर पर आ रही दिक्कतों में नीतियों का क्या योगदान है, इसपर प्रकाश डाला। पंचायतों और नगर निकायों को मजबूत करने के लिए उन्होंने केन्द्रीय वित्त आयोग के माध्यम से सीधे फण्ड उपलब्ध करवाने पर बल दिया।
डॉ. सायन बनर्जी, टेक्सस टेक यूनिवर्सिटी ने अपनी प्रस्तुति में बिहार में महिला आरक्षण के महत्व और प्रभाव पर विस्तार से प्रकाश डाला। हेइफेर इंटरनेशनल इंडिया की डॉ.अनामिका प्रियदर्शनी ने कहा कि किशोरों एवं युवाओं को पुरुषवादी सोच के दुष्प्रभावों से दूर करना बेहद आवश्यक है। उन्होंने सुझाव दिया कि कम उम्र से ही लड़कों को लिंग से जुड़े मुद्दों के बारे में प्रशिक्षण के ज़रिए सही जानकारी देना शुरू किया जाए तो ऐसे दुष्प्रभावों को काफ़ी हद तक रोका जा सकता है। इस सत्र की अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ प्रदीप कुमार चौधरी ने की।
इसके बाद का सत्र जमीनी स्तर पर नीतियों के प्रभाव, पर्यावरण परिवर्तन एवं सतत कृषि व उद्योगों के बिहार में विकास पर केन्द्रित रहा। सीआईएमपी के व्याख्यातागण डॉ. एस सेनापति एवं डॉ. डी. सामंता, चन्दन झा, सीईईडब्ल्यू, डॉ. इन्द्रजीत कुमार, आईईजी, नई दिल्ली, और पटना विश्वविद्यालय के प्रमीत कुमार विनीत ने बिहार के अलग अलग हिस्सों में किए अपने शोध अध्ययनों को लेकर डाॅ. उत्सव कुमार की अध्यक्षता में अपनी प्रस्तुतियां दीं।
अंतिम तकनीकी सत्र में ‘बिहार में उद्यमिता और चुनौतियां’ विषय पर बिहार के कई युवा उद्यमियों ने विस्तार से अपनी बातें रखी। इस सत्र का संचालन सीआईएमपी की शोधार्थी प्रिया नाथ ने किया।
समापन सत्र में दो दिनों तक विभिन्न विषयों पर हुई चर्चा-परिचर्चा के मुख्य बिंदुओं को सीआईएमपी के प्राध्यापक डाॅ. एस. सेनापति संक्षेप में साझा किया। सीआईएमपी के निदेशक प्रो. राणा सिंह, प्रो. चार्ल्स हैंक्ला, प्रो. अंजली थाॅमस, डाॅक्टर सायन बैनर्जी और डाॅक्टर डी. सामंता, सीआईएमपी ने काॅन्फ्रेंस के दौरान मिली जानकारियों को आधार बनाकर बिहार में सुशासन और स्थानीय विकास को और सशक्त बनाने के लिए क्या कुछ किया जाना चाहिए, इसके बारे में विस्तार से चर्चा की। सीआईएमपी के सीएओ कुमोद कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया