पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 31 जनवरी को सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय न्यायाधीश की निगरानी में नए सिरे से चुनाव कराने की मांग वाली आप की याचिका पर चंडीगढ़ प्रशासन और नगर निगम को नोटिस जारी किया।
अदालत ने प्रतिवादियों को मामले में अपना जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया।
भाजपा ने 30 जनवरी को चंडीगढ़ मेयर चुनाव में जीत हासिल की, जिससे आम आदमी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन को करारी हार मिली, जिसने गड़बड़ी का आरोप लगाया और दोबारा चुनाव कराने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया।
यह याचिका आप पार्षद कुलदीप कुमार, जो मेयर पद के उम्मीदवार थे, ने चंडीगढ़ नगर निगम और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन समेत अन्य के खिलाफ दायर की थी।
सुनवाई के बाद पत्रकारों से बात करते हुए याचिकाकर्ता के वकील गुरमिंदर सिंह ने कहा कि अदालत ने चंडीगढ़ प्रशासन, नगर निगम और अन्य को अपना जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है।
वरिष्ठ स्थायी वकील अनिल मेहता ने कहा कि अदालत ने याचिकाकर्ता को कोई अंतरिम राहत नहीं दी।
आप पार्षद का कहना है कि यह पूरी तरह से धोखाधड़ी और जालसाजी है
याचिका में श्री कुमार ने “पूर्ण धोखाधड़ी और जालसाजी” का आरोप लगाते हुए चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर के चुनाव की प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की है।
उन्होंने नवनिर्वाचित मेयर को चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर के कार्यों का निर्वहन करने से रोकने के निर्देश भी मांगे हैं, यह कहते हुए कि चुनाव की पूरी प्रक्रिया “धोखाधड़ी से दूषित” थी।
कांग्रेस और आप ने चंडीगढ़ नगर निगम के 35 सदस्यीय सदन में आसान जीत की भविष्यवाणी की थी और इसे इंडिया ब्लॉक के लिए प्रारंभिक परीक्षा के रूप में पेश किया था। लेकिन भाजपा ने उन तीनों शीर्ष पदों को बरकरार रखा जिनके लिए चुनाव हुए थे।
विपक्षी पार्षदों ने पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह पर मतपत्रों के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया, इस आरोप को उन्होंने और भाजपा ने खारिज कर दिया।