बिहार पटना :- डॉक्टर रणवीर नंदन पूर्व सदस्य बिहार विधान पार्षद और जदयू के जमीन से जुड़े नेता ने इस बार जदयू की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है, करीबी सूत्र बताते हैं पार्टी में उनकी अनदेखी से वो मायूस और असहाय थे। तथा लोगो की समस्यायो का निदान नही कर पा रहे थे । पार्टी में अपनी उपेक्षा से क्षुब्ध होकर उन्होंने ऐसा निर्णय लिया । उनके कार्यकर्ताओ और समर्थक भी धीरे धीरे पार्टी से किनारा कर रहे हैं ।
किसी भी पार्टी की नीव एक बूथ लेवल का कार्यकर्ता होता है।
जदयू में घमासान जारी है बिहार की राजनीति बड़ी तेजी से करवट ले रही है मगर गौर करने वाली बात यह है कि माननीय मुख्यमंत्री श्री Nitish Kumar के आस पास भी कोई नेता दिखाई नही पड़ता । नीतीश कुमार बिहार के राजनीति में एक बड़ा नाम है । मगर हम सभी ने देखा है बड़ा से बड़ा जहाज भी डूबने में समय नहीं लगाता।
अगर उसका संचालन ठीक ढंग से न किया जाए तो और यही सब जदयू में बीते कुछ समय से हो रहा है । संचालन संचालक ठीक ढंग से कर नही पा रहे है सबसे पहले जदयू के गदावर नेता शरद यादव को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
फिर अध्यक्ष बदलते रहे फिर एक बार नीतीश कुमार ने खुद ही पार्टी की बागडोर संभाली उसके कुछ समय बाद आरसीपी सिंह को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया वो राज्यसभा भी गए मगर इस बार फिर कुछ अनबन हुई और एक नाटकीय घटनाकर्म में उन्होंने पार्टी से किनारा करके भाजपा का दामन थाम लिया।
फिर नीतीश कुमार के करीबी उपेंद्र कुशवाहा ने भी उनसे पल्ला झाड़ लिया उसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जीतन राम मांझी ने भी कई संगीन आरोप लगाते हुए नीतीश कुमार का दामन छोड़ दिया ।
हालांकि वो कहते थे मरते दम तक नीतीश कुमार का दामन नहीं छोड़ेंगे , मगर भाई साहेब राजनीति है 😁😁 सब चलता है ।
अब अंत में डॉक्टर रणवीर नंदन के जाने से पार्टी को एक बड़ी क्षति पहुंची है ।
सूत्र बताते हैं कि उनका कोई भी काम नही किया जा रहा था साथ ही उनकी उपेक्षा भी की जा रही थी ।
राजनीति में ऊपर चढ़ना और हर कार्यकर्ता को उसके काम की एक आस होती है की मुझे इस काम का प्रश्रमिक मिलेगा ।
कहीं न कहीं रणवीर नंदन भी प्रमोशन की तलास में थे की शायद उन्हें राज्यसभा भेज दिया जाए।
मगर ऐसा कुछ भी हुआ नही ।
पार्टी कार्यकर्ताओं से चलती है और हर नेता का अपना एक अपना जनसमर्थन होता है ।
पार्टी के प्रति समर्पण जैसी चीज सिर्फ भाजपा में दिखाई देती है बाद बांकी पार्टियों में नेताओ का बोलबाला है खासकर क्षत्रीये दल जो लोगो से ही बनता है यद्धपि कोई भी संगठन राष्ट्र या दल लोगो से ही बनता है मगर कुछ नैतिक मूल्य और सिद्धांत भी है जो कहीं न कहीं क्षेत्रिये दलों में देखने को नहीं मिलता ।
नीतीश कुमार की पार्टी जदयू अब कहीं न कहीं one man show बनकर रह गया है।
नीतीश कुमार मतलब जदयू और जदयू मतलब नीतीश कुमार।
अटकलों का बाजार गर्म है रणवीर नंदन घर वापसी कर रहे सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है की एक हफ्ते के अंदर वो भाजपा का दामन थाम लेंगे। जदयू का एक के बाद एक विकेट गिरता जा रहा है ।
पार्टी जमीनी नेताओ को खोती जा रही है सहयोगी भी पल्ला झाड़ रहे है।
साफ है अब जदयू की कहानी समाप्त है मगर क्रिकेट और राजनीति में कुछ भी कहना मुश्किल है फिलहाल खेल जारी है और बैटिंग तो अभी नीतीश कुमार ही कर रहे हैं देखते भाजपा इन्हे कब तक आउट कर पाती है या फिर , खेल को ही बदलकर नीतीश कुमार एक बार फिर से कहीं पलटी न मार दे !
बिहार के वरिष्ठ नेता और राजद अध्यक्ष श्री Lalu Prasad Yadav पहले ही कह चुके हैं nitish kumar के पेंट में दात है ।
Tejashwi Yadav को यह बात याद रखनी पड़ेगी !
इन सबके बीच बिहार में हाई वोल्टेज ड्रामा लगातार जारी है और अगर जदयू अभी भी नही संभली फिर ताला चाभी नीतीश कुमार से छूट जाएगा और नीतीश की सारी की सारी सीट Bharatiya Janata Party (BJP) को चली जाएगी।
वैसे आजकल आनंद मोहन भी राजनीति में सोशल मडिया के माध्यम से ताल ठोक रहे हैं ।
पिछले दिनों राजद के वरिष्ठ नेता मनोज झा के राज्यसभा वाले कविता “ठाकुर” पर अपना रोष भी प्रकट किया ।
संकेत मिल रहे हैं की हो सकता है श्री कुमार का आनंद मोहन को बाहर लाना कहीं भाजपा के लिए फायदेमंद साबित न हो जाए !
वैसे भी इतिहास खुद को दोहराता है देखते हैं ऊंट किस करवट बैठता है बहरहाल रणवीर नंदन लगभग भाजपा में शामिल हो चुके हैं औपचारिकता सिर्फ बाकी है ।
आपको हमारा ये विश्लेषण कैसा लगा कृपया हमे कॉमेंट बॉक्स में बताए चलता हु शुभ रात्रि ।