साथी :- “मुलाकात हुई फिर प्यार परवान चढ़ा, दो से तीन मुलाकातों के बाद उसने किनारा करना शुरू कर दिया, शायद मोहब्बत रस्मो रिवाजो पर भाड़ी पड़ा या फिर उसका जी भर गया ! धीरे धीरे उसने हांथ भी झटकना शुरू कर दिया, मिलन और बात पर धीरे धीरे बहाने बढ़े लॉन्ग वैक्शन के झूठे तराने भी मिले, तंग आकर साथी ने भी हांथ झटक डाला, ब्रेकअप का दौर बड़ा ही लंबा चला, साथी की राह एकटक देखता रहा, एक दिन साथी का पैगाम आया, बड़े ही प्यार से खोज खबर फिर खैरियत पूछा, विरह की आग में जलता इस बार भी मिलन का महुरत पूछने लगा, संवाद का सिलसिला न बंद हो जाए इसलिए घुमा फिराकर एक बार दीदार करने की बात हर बार दुहराता रहा, सामने वाले जुल्मी और बेदर्द मोहब्बत से मिलने की भीख मांगता रहा, पहले तो बहाने आते थे अब जुल्मी ने आग भी बरसाना शुरू कर डाला, मोहब्बत में अलक्तरा लगा डाला ,”
कृष्ण का संतावना और सत्य :- “एक तरफ विरह की आग में एक साथी जला उसकी तपन से सामने वाले का कलेजा जला बीमारियों ने जालिम साथी को आ कर घेर लिया है आजकल सुना है वेद और हकीमों के चक्कर पर चक्कर लगा रहा है । दवा तो मिलन है, विरह की तपन में जब एक साथी जलने लगे, फिर दूसरे पर उसका असर कैसे ना परे ! न न कोई जानबूझकर भी वो ना जले, विरह की आग ही ऐसी है या तो मोहब्बत मिले या दम निकले। विरह की आग की लौ अब जुल्मी साथी को भी जला रही है। मोहब्बत की शक्ति को देख रहे हो अरे ए तो वो शक्ति है जो भगवान को भी खींच कर पास बुला लाए कब तक जलाओगे या जलोगे ? एक दिन राख होकर खाक होगे या फिर दोनो का मिलन फिर होए जाए । सच्ची मोहब्बत तो द्वापर से मुझे कल युग तक खींच लायो (मीराबाई) । तेरी मोहब्बत तो कलयुग में ही है, सच्ची मोहब्बत और विरह की आग में तो जल, खींच न लाए तेरी विरह की आग उस जुल्मी साथी को फिर कहना, नही खींच सका तब तेरी मोहब्बत ही देह तक थी, खींच लिया तब समझना ये रूह वाली मोहब्बत है .” राधे राधे ।