आखिर The Kerala Story पर विवाद क्यों भड़का है? ऐसा क्यों है कि जब केरल से लापता हो गई लड़कियों की गिनती पूछी जाती है, तो आरटीआई पर भी केरल की कम्युनिस्ट सरकार चुप्पी साध लेती है?
सबसे पहले तो वो ये कहने आए की ऐसा कुछ हुआ ही नहीं है जब सोशल मीडिया का दौर हो तो ऐसा करने से बचाना चाहिए क्या है की अब यह पुराना तोर रहा नहीं जब सत्ता को आम जनता चुनौती नहीं देता था! आप विधायक होते थे, आप सांसद होते थे, आप मंत्री होते थे और कोई भी आपसे सवाल नहीं करता था। ऐसा दौर अब नहीं रहा। सोशल मीडिया के दौर में अक्सर सत्ता को सत्य का सामना करना पड़ता है। सत्ता का सत्य से सामना शशि थरूर के लिए तब हुआ जब वह कहने लगे की “द केरल स्टोरी” में दिखाई गई सारी बातें झूठी हैं, बेकार है, इनका सच्चाई से कोई लेना देना नहीं। जब उन्होंने एक ट्वीट में एक बड़ा सा पोस्टर लगा दिया जिसमें एक इस्लामिक संगठन ने कह रखा था की सबूत ले आइये लव जिहाद के प्रमाण ले आई तो हम आपको ₹1 करोड़ का इनाम देंगे।
इसके जवाब में सोशल मीडिया पर उनकी खासी किरकिरी हो गई। क्या हुआ की लोगों ने उनके ही एक पुराने ट्वीट का स्क्रीनशॉट निकाल कर शेयर कर दिया जिसमें वो खुद ही बता रहे हैं अपनी ही पीठ थपथपा रहे हैं लोगों को बता रहे हैं की देखो कैसे मैंने पीड़ित महिलाओं को पीड़ित माओ को मदद दिलवाई। उनकी मुलाकात सुषमा स्वराज से करवा दी, सुषमा स्वराज उसे समय मंत्री हुआ करती थी विदेश मंत्रालय देखते थी और अक्सर विदेशो में फंसे हुए भारतीय नागरिकों को भारत वापस लाने में मदद किया करती थी, तो उन्होंने कुछ केरल की महिलाओं की मदद की थी जो की सुषमा स्वराज से मिली और सुषमा स्वराज से मिलने के बाद उन्होंने बताया की कैसे उनकी बेटियां बहकावे में आकर अपने पतियों के साथ आईएसआईएस में भर्ती होकर आतंकवादी बनने विदेश भाग गई हैं और उन्हें वापस लाने में अब इन लोगों को सुषमा स्वराज की मदद चाहिए. सुषमा स्वराज की मदद मिली होगी या नही मिली होगी ये सब बाद की बातें हैं मगर खैर ट्वीट खुद शशि थरूर का था तो शशि थरूर की बेइज्जती तो हो गई। अब शशि थरूर सफाई देते नजर आ रहे हैं की मैंने तो भाई तीन चार लोगों की ही मदद की थी। कहानी में तो 3200 बताया जा रहा है, 32000 बताया जा रहा है हजारों की गिनती बताई जा रही है। तो भइये फिल्म है उसमें थोड़ी क्रिएटिव लिबर्टी तो आप देंगे ना !
“द केरल स्टोरी” की बात करना इसलिए जरूरी हो जाता है क्योंकि केरल में चुनाव है और चुनाव की गर्मी जो है वो फिल्मों तक को महसूस होने लगी है। फिल्म को महसूस कैसे होने लगी है? वो ऐसे महसूस होने लगी है की केरल के मुख्यमंत्री इस फिल्म के विरोध में बयान दे चुके हैं। बड़े-बड़े नेता कांग्रेस के इस फिल्म के विरोध में सामने उतर कर आ रहे हैं। इस्लामिक संगठन जो थे वह तो सामने हैं ही जमियत उलेमा ए हिंद नाम का एक संगठन सुप्रीम कोर्ट में इस फिल्म को रुकवाने के लिए पहुंच गया। उनका दावा बिल्कुल संवैधानिक था। भाई संविधान की याद उन्हें तभी आती है जब मामला उनके पक्ष में जाता दिखाई दे। बाकी समय तो वो कहते हैं की भाई संविधान को हम मानते नहीं हम तो शरिया कानून से चलेंगे जी। हमारे सरिया कानून में जरा भी बदलाव हमें बर्दाश्त नहीं। तीन तलाक वाला मामला आपको याद होगा। उसमें उन्होंने कहा था की नहीं नहीं हमें संविधान नहीं चाहिए। हमें तो भाई शरिया कानून से चलने दो। मगर अब जब अपनी बारी आई है जिसमें अपनी दिक्कत उन्हें नजर आ रही है तो उन्हें अचानक संविधान याद आ गया है।
संविधान का जो अनुच्छेद 19 एक सब सेक्शन (जी) होता है उसकी याद उन्हें आ गई है और उसके हिसाब से उन्होंने कहना शुरू कर दिया है की भाई हमें बचाने की जरूरत है। हमारे जान माल और रोजी रोटी पर खतरा मंडरा रहा है। इसलिए इस फिल्म को रोका जाए, उनका तर्क है The keral Story में जिस तरह की कहानी दिखाई गई है उससे मोहमडन समुदाय के रोजी रोटी पर उनके जान और माल पर खतरा आ सकता है। खतरा क्यों आ सकता है? क्योंकि इस फिल्म में दिखाए गया है की कैसे बिल्कुल आम से दिखने वाले युवक जो गैर मोहमडन लड़कियों के सहपाठी होते हैं मोहमडन होते हैं मगर ऐसे स्कूल में पढ़ते हैं जो की सेकुलर हो मदरसा ना हो उनमें जाते हैं उनमें पढ़ाई करते हैं और गैर मोहमडन लड़कियों से दोस्ती करते हैं। अपने आप को भला शरीफ सा दिखाते हैं और फिर जब वो उन्हें अपने प्रेम जाल में फांस लेते हैं तो उन्हें लेकर पश्चिम एशियाआई देशों में आतंकवाद के प्रशिक्षण शिविरों में आतंकवादी बने के लिए भेज देते हैं। आतंकवाद की तरफ धकेल देते हैं। ये बात कोई नई बात नहीं है यह बात NIA कह चुकी है। शशि थरूर का जब ट्वीट आया तो उसी ट्वीट के जो जवाब आए उनमें कई लोगों ने NIA की लिस्ट को शेयर कर दिया था। लिस्ट में कई नाम दिए हुए हैं जिसमें युवतियां लापता हो गई गायब हो गई। बाद में कुछ युवती अब पकड़ी भी गई और वो भाग कर कहां गई थी तो वो भाग कर आतंकवादी होने का प्रशिक्षण ले रही थी। कट्टरपंथी जमातों में शामिल हो गई थी।
कट्टरपंथी जमातों में शामिल होकर वह उस किस्म की बातें कर रही थी जो उनकी पूर्व की विचारधारा के बिल्कुल उलट था। पहले वो खुद गैर-मुहम्मडेन थी और अब वो गैर मोहम्मडेन लोगों को कत्ल कर देने उनको मार देने उनके बलात्कार करने इन सबको जायज ठहर रही थी। इस एनआईए की लिस्ट के बाहर आने के बाद समस्या शशि थरूर के लिए और भी बाढ़ गई। मगर जमियत उलेमा ए हिंद जो था जो की सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर पहुंच था उसने जो बातें की उसके बाद और जांच हुई और सुप्रीम कोर्ट ने यानी हमारे माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा की भाई सीबीएफसी यानी केंद्रीय फिल्म प्रमाण बोर्ड जो है जो सेंसर बोर्ड कहलाता है उसने पहले इस मामले की जांच कर ली है और इसलिए इस मामले पर कुछ नहीं किया जा सकता। जो उन्होंने काट छांट की है उसे काट छांट के साथ फिल्म को प्रदर्शित होने देना चाहिए। फिल्म के प्रदर्शन को रोकने की कोई वजह नहीं बनती। अगर हम लोग देखें की यह मामले अखबारों में आए हैं या नहीं आए हैं तो ऐसा एक बार नहीं हुआ है। अनगिनत बार ऐसे मामले प्रकाश में आए हैं और अगर उनकी लिस्ट पूरी देखी जाए तो बार-बार यह मामले अखबारों में आए हैं प्रकाशन में नजर आए हैं। वेबसाइट पर लिखे गए हैं। लेकिन हुआ क्या? वही ढाक के तीन पात, केरल की सरकार मानने के लिए तैयार नहीं हुई की लव जिहाद जैसा मामला कुछ होता है।
हालांकि अदालत मान चुकी हैं की ऐसा कुछ होता है केरल के ही एक भूतपूर्व मुख्यमंत्री एक लंबा चौड़ा इंटरव्यू देकर बता चुके हैं की ऐसा होता है। जो केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड था जो सेंसर बोर्ड था उसने जो फिल्म पर कट लगाएं हैं वह भी देखने लायक हैं। उन फिल्म पे लगाएं गए कट में से एक कट फिल्म के आखिरी हिस्से पर चला है। आखरी हिस्से के इस कट में केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ये कहते हुए लेकर आते हैं की पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया जो है वह इस्लामिक संगठन है और वह इस्लामिक संगठन केरल को एक इस्लामिक राज्य बना देना चाहता है। इस बयान की काफी निंदा हुई थी इस बयान पर काफी विवाद हुआ था। इसीलिए ये इंटरव्यू आसानी से इंटरनेट पर उपलब्ध है। इंटरनेट पर कोई भी सर्च करके इसे देख सकता है मगर सेंसर बोर्ड ने किसी कारण से इस दृश्य पर कट लगा दिया है। सिर्फ इसी एक दृश्य पर सेंसर बोर्ड ने अपनी कैंची चलाई हो ऐसा भी नहीं है। एक दृश्य जिसमें कहा गया है की इंडियन कम्युनिस्ट जो होते हैं वो बड़े हिप्पोक्रेट होते हैं जो की सच भी है। भारतीय कम्युनिस्ट जो होते हैं उनसे बड़ा दोमुंहा कोई हो नहीं सकता। एक तरफ तो वो कहते हैं की धर्म अफीम है दूसरी तरफ धर्म के नाम पर ही चुनाव लड़ने जा रहे हैं केरल में। दोमुहापन तो इसमें नजर आता ही है लेकिन इसमें जो भारतीय कम्युनिस्ट कहा गया था उसे हटा दिया गया है।
मजेदार बात यह है की भारतीय कम्युनिस्ट नाम का जो यह जुमला था यह जुमला उछलने वाली कोई और नहीं थी यह जुमला उछलने वाली भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी। इंदिरा गांधी को इस भारतीय कम्युनिस्ट के जुमले की इस्तेमाल करने की जरूर इसलिए पड़ी थी क्योंकि इंदिरा गांधी भारतीय कम्युनिस्ट खाने के जारी काम का विरोध कर रही होती थी और उसे जमाने में रूस से उनके संबंध बहुत अच्छे थे। रूस कहीं कम्युनिस्ट कह देने पर भड़क ना जाए इसलिए वह कम्युनिस्ट नहीं कहती थी भारतीय कम्युनिस्ट कहती थी। भारतीय कम्युनिस्ट के कम्युनिस्ट पर निशाना लगाती थी। हालांकि कम्युनिस्ट कहीं के हो एक ही जैसे होते हैं एक ही जैसे दोमुंहे होते हैं लेकिन भारतीय कम्युनिस्ट अब इंदिरा गांधी कहती थी तो कहती थी। इसके अलावा भी फिल्म में और भी कई जगह कैट छांट की गई है। डायलॉग में जहां अमेरिका का ज़िक्र है कहा गया की भाई अमेरिका जो है वो पाकिस्तान को पैसे देता है और वही पैसे बाद में इस्तेमाल करता है पाकिस्तान जिहाद फैलाने के लिए भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए तो वहां पर से भी जो अमेरिका शब्द है उसे शब्द को हटा देने की बात की गई। उस शब्द को हटवा दिया गया डायलॉग थोड़ा सा बादल दिया गया। ऐसे ही जो औरंगज़ेब, या फिर आलमगीर, या आईएसआईएस के बारे में जो बातें फिल्म में की गई थी उनके लिए प्रमाण प्रस्तुत करने पड़े। फिल्म बनाने वालों को यह साबित करना पड़ा की ऐसा सचमुच में हुआ था जबकि इतिहास में लिखे हुए इन तथ्यों की जानकारी किसी को ना हो ऐसा तो होना नहीं चाहिए। मगर फिर भी जो केंद्रीय फिल्म प्रमाण बोर्ड था जो सेंसर बोर्ड है उसने प्रमाण मांगे की भैया सबूत दो तभी तुम औरंगज़ेब के खिलाफ बोल सकते हो अगर सबूत नहीं है तुम्हारे पास तो तुम औरंगज़ेब के खिलाफ नहीं बोल सकते। मतलब सावरकर के खिलाफ बोल सकते हो, लेकिन औरंगज़ेब के खिलाफ कैसे बोल दोगे? है की नहीं!
तो यह सब करने के बाद फिल्म को 10-12 जो काट-छांट थे जो बड़े काट छांट थे उनके बाद फिल्म को रिलीज किया गया। अब फिल्म में आपको पता ही है की हिंदू देवी देवताओं को अपमानित करने के लिए या उनके बारे में हिंदुओं के मन में थोड़ा संशय पैदा करने के लिए जो जुमले इस्तेमाल होते हैं जो डायलॉग इस्तेमाल होते हैं उनका जिक्र भी कहीं न कहीं आया होगा। फिल्म में उनकी बात भी कहीं न कहीं हुई होगी। उन सभी को थोड़ा सेकुलर कर दिया गया। उन सभी स्टेटमेन्ट्स को थोड़ा जनरलाइज कर दिया गया थोड़ा सामान्य कर दिया गया ताकि किसी की भावना बहन ना आहत हो जाए। इस तरह से फिल्म बनकर तैयार हो चुकी है। कुछ दोनों में भारत के थियेटरो में आने वाली है लेकिन जैसा की हम लोग पहले भी थे कश्मीर फाइल्स के मामले में देख चुके हैं कितने स्क्रीन से मिलेंगे, ये पता नहीं।
[संगीत] इस फिल्म को लेकर है ऐसा माना जा सकता है की यह फिल्म हिट होने वाली है काफी कम खर्च में बनी इस फिल्म को अच्छी खासी दर्शकों की सराहना मिलने वाली है। तो दर्शकों की सराहना जब मिल जाए किसी फिल्म को दर्शन जब पसंद करने लगे तो दो कौड़ी के जो छोटे मोटे पुराने काल के नेता थे जैसे की शशि थरूर उनका क्या कहना था क्या सोचना था वो बहुत ज्यादा मायने नहीं रखना। अच्छी बात यह है की पुराने जमाने में जो कुछ लोग कहते थे फिल्म का जवाब फिल्म होना चाहिए वैसे लोगों को यह फिल्म करारा जवाब होगी और फिल्म का जवाब फिल्म से दिया जाना चाहिए।
इसका पता भी इससे चल जाएगा क्योंकि जैसा पिछली फिल्म यानी द कश्मीर फाइल्स में हुआ था ऐसी ही कुछ फिल्म थी वो जिसके ऊपर काफी विवाद हुआ था काफी विरोध हुआ था। उसे फिल्म का तो कश्मीर फाइल्स के दूर में जैसा हुआ था वैसा ही कुछ-कुछ तक केरल स्टोरी के मामले में होता हुआ नजर आ रहा है। विरोध का पैसे काफी ज्यादा सामना करना पड़ रहा है। कहा जा रहा है की भाई इससे तो एक समुदाय विशेष के जान माल पर उनकी आजीविका पर सवाल उठाएंगे दिक्कतें आएंगे तो इसे रॉक जाना चाहिए। तो यह सब कुछ हमें देखना पड़ेगा और भारत जो की बादल रहा है उसमें ऐसे बदलाव होते रहने बहुत जरूरी है। ऐसी फिल्में आनी चाहिए सच्चाई जो की जनता से छुपाई जाती है सिर्फ मीठी मीठी अच्छी-अच्छी बातें सुनाई जाती हैं उनसे आपका कम चलने वाला है नहीं। थोड़ा सा सत्य थोड़ा सा कड़वा सत्य देखना चाहिए समझना चाहिए। उम्मीद है फिल्म को आप देखेंगे मैं तो देखूंगा ही और फिल्म को देखने के बाद पुनः हम लोग इस पर चर्चा कर पाएंगे फिर से बातचीत कर पाएंगे। तो जब तक फिल्म आई नहीं है इंतजार करते हैं और देखते हैं इस फिल्म को रोकने के लिए और क्या-क्या हथकंडे अपनाये जाते हैं।