यूँ भी किसी घटना में 187 करोड़ का घुसा तो क्या खाक गांधीवाद होगा ? या तो जुड़ते ही वाद हो जाएगा या सभी बराबर पार्टनर मिलने के नाम पर मार्क्सवाद आएंगे, गांधीवाद कहां से आयेगा? आज मोदी जी जब सफाइ अभियान के नाम पर पैसा देने के बदले में खुद ही झाड़ू उठा रहे हैं तो लोगों को आश्चर्य हो रहा है। इतने सालों में तो पैसा ही गांधीवाद को लीता रहा। इसलिए मोदी जी ने नहीं दिए पैसे! आज भी लोगों को छुट्टी न मिलने की शिकायत थी और मुझे शर्म आ रही थी। कहीं भी छुट्टी पर मिलने का गम गलत नहीं किया जा सकता! आज तो वो एक “सूखा दिवस” होता है न? दंगल यानी वर्धा की अभी की स्थिति भी बता दें कि एक गांधी जी के नाम का विश्वविद्यालय भी वर्धा में है। इस विश्वविद्यालय के नाम में अंतर्राष्ट्रीय और हिन्दी दोनों ही शब्द जुड़े हुए हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर तो छोड़िये राष्ट्रिय स्तर पर ही हिन्दी की स्थिति ऐसी है कि आप सर्वोच्च न्यायालय में अपना मुकदमा कोई पूरी तरह से हिंदी में नहीं लड़ सकते। यहाँ मुकदमा शब्द भी उर्दू का है जो अरबी से आता है। सोचने पर भी आपको मुक़दमे के लिए जो कोई हिंदी शब्द नहीं सूझता, वो आपको हिंदी की दशा तो बताता है।

Very nice 👍
नेहरूवादी जिला, सुनकर ही हंसी आ गयी😄
आपकी स्माल टॉक बहुत ज्ञानवर्धक होती है।
कहने का सलीका भी बेहतरीन👌👌👌
वाह… रोचक
Nice