Yeh Ishq Bhi Kya Cheez Hai | used music provided by @Yellowtunes | Poetry by Ankit Paurush

ये इश्क भी क्या चीज है,
समझ नहीं आती,
दिल में बेचनी बढ़ाती ,
और जुबां लड़खड़ा जाती।

ये इश्क भी क्या चीज है।

पहली बार जब उसको देखा था,
दिल में मची थी हलचल,
सबसे कहता तेरी भाभी है,
उसको कहने में लगता था डर,
थर थर कांप रहे थे हाथ,
उससे कहनी थी दिल की बात,
कहना बहुत कुछ चाहता था,
उसको देखकर सब भूल जाता था।

उसकी झलक पाने के लिए,
टाइम टेबल हो गया फिक्स,
कितना मासूम था यह इश्क,
उसको पाने के लिए,
कितना लिया था रिस्क।

गर्ल्स हॉस्टल ही मंजिल लगती थी,
जब भी वो हस्ती थी,
क्या खूब लगती थी।

उसकी आंखों को देखकर,
देखते रहने का मन करता था,
उसकी आंखें ही मुझे,
अपना दर्पण लगता था।

दिन पर दिन इश्क गहरा होता जा रहा था,
उसको अपना बनाने के लिए,
दिन रात बैचेन होता जा रहा था।

जब सुबह उसको देखता था,
वही सूरज लगती थी,
रात के अंधेरे में,
मुझे मेरा चांद लगती थी।

सूरज भी वो थी,
चांद भी वो थी,
तारा भी वो थी,
सितारा भी वो थी,
जिस किनारे पर बैठ कर,
उसको सोचता था,
वो नदी किनारा भी वो थी।

सुबह शाम उसकी बात करता था,
उसके बिना दिल न लगता था।

हर किसी को होता है इश्क,
फिर भी अपना इश्क अलग लगता था,
उसको पाने के लिए,
अपना बनाने के लिए,
रोज प्रयास करता था।

एक रात दोस्तो के साथ,
लगा रहा था जाम,
पीते पीते बताया,
अपने इश्क का,
उसको देना है पैगाम,
फिर क्या,
लव लेटर हमने लिख दिया,
एक किताब में रखकर,
I love you कहकर दे दिया।

उस रात मैं न सोया था,
उसका रिस्पॉन्स पाने के लिए,
चांदनी रात में, मैं खोया था।

फिर सुबह का सूरज उगा,
मैं रेडी हो गया,
लाल आंखों से,
मैं इश्क में को गया,
जब सुबह उसको देखा,
तो वो हस गई,
हस गई,
तो हसीन दिलरुबा फस गई।

अब हाथ में हाथ रखकर,
दो दिल घुमा करते थे,
उसकी जुल्फों के जाम से,
आंखों के पैगाम से,
बिना पिए नशे में रहते थे,
अब हम दोनो,
इश्क किया करते थे।

वो भी क्या दिन थे,
खुबसूरती के रंग से भरे,
दो दीवाने संग थे,
वो भी क्या दिन थे।

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By The Ankit Paurush Show

Note:- किसी भी तरह के विवाद उत्प्पन होने की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी चैनल या संस्थान या फिर news website की नही होगी लेखक इसके लिए स्वयम जिम्मेदार होगा, संसथान में काम या सहयोग देने वाले लोगो पर ही मुकदमा दायर किया जा सकता है. कोर्ट के आदेश के बाद ही लेखक की सुचना मुहैया करवाई जाएगी धन्यवाद अंकित पौरुष अभी बंगलोर स्थित एक निजी सॉफ्टवेर फर्म मे कार्यरत है , साथ ही अंकित नुक्कड़ नाटक, ड्रामा, कुकिंग और लेखन का सौख रखते हैं , अंकित अपने विचार से समाज मे एक सकारात्मक बदलाव के लिए अक्सर अपने YouTube वीडियो , इंस्टाग्राम हैंडल और सभी सोसल मीडिया के हैंडल पर काफी एक्टिव रहते हैं और जब भी समय मिलता है इनके विचार पंख लगाकर उड़ने लगते हैं

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