Hum Sab Kalakaar Hain | Poetry By Ankit Paurush
हम सब कलाकार हैं इस धरती पर,
अनेकों चरित्र निभाने आए हैं,
हर चरित्र एक संबंध है,
संबंधों को निभाने आए हैं।
हम सब कलाकार हैं इस धरती पर ।
एक चरित्र तुम्हारे मां बाप है, एक चरित्र में तुम मां बाप हो,
एक चरित्र में पति पत्नी हो, एक चरित्र में बहन या भाई हो,
कुछ चरित्र में मामा, चाचा, ताऊ, फुफा,
कुछ चरित्र में मित्र या यार हो,
हर चरित्र का एक मोल है,
इसलिए हर चरित्र अनमोल है,
ऐसे काफी चरित्र हैं धरती पर,
उनको निभाने आए हो।
हम सब कलाकार हैं इस धरती पर ।
जो चरित्र को बखूबी निभादे,
उसको चरित्रवान कहते हैं,
जाके पूछो अपने चरित्र से,
किस चरित्र को बखूबी निभाया,
तुम्हारा हृदय ही तुम्हें बता देगा,
कि तुम चरित्रहीन हो, या चरित्रवान हो।
हम सब कलाकार हैं इस धरती पर ।
मेरा सवाल है समाज से,
चरित्रहीनता कि परिभाषा को इतना सीमित क्यों बना दिया,
क्या तुमने अपना चरित्र निभाया है सही से,
कि दूसरों को चरित्रहीन बना दिया।
अंकित पौरुष
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