-लोगों से अपील, राजनीतिक पार्टियों की सियासत में न फंसें और हिंसा को बढ़ावा न दें
-नूपुर को राजनीतिक संरक्षण मिलना दुर्भाग्यपूर्ण, गिरफ्तारी की मांग
पटना। जनअधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश रंजन उर्फ पप्पु यादव ने सरकार से मांग की है कि कोई भी ऐसा संगठन जो धार्मिक मामलों को सियासत का मुद्दा बनाए उसपर अविलम्ब प्रतिबंध लगाएं। नूपुर शर्मो मामले की जांच हो। कोई भी व्यक्ति जो भारत में हिंसा फैलाने की कोशिश कर रहा हो उसकी सारी सुविधाएं छीन लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब हिन्दुस्तान में सबसे बड़ा मुद्दा कश्मीर से पलायन कर रहे कश्मीरी पंडितों का हो, देश के 140 करोड़ लोग रोजगार और महंगाई के मुद्दे पर सवाल उठा रहे हों तो मुद्दे से भटकाने वाली राजनीतिक पार्टियां देश में धर्म को हथियार बनाकर जनता के बीच वैमनषता फैला रही हैं।
उन्होंने नूपुर के विवादित बयान पर कहा कि नूपुर जैसी प्रवक्ताओं के द्वारा इतना बड़ा बयान बिना राजनीतिक संरक्षण के नहीं दिया जा सकता। पूरे देश को मुद्दों से भटकाने के लिए नूपुर को हथियार बनाया गया।
कई ऐसे संगठन जो बीजीपी-आरएसएस की पैदाइश हैं, उन संगठनों के द्वारा नूपुर को संरक्षण दिया जा रहा है। जब पूरी दुनिया इस घटना की निंदा कर रही है ऐसे समय में नूपुर को राजनीतिक संरक्षण मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने देश के लोगों से अपील की कि इन राजनीतिक पार्टियों की सियासत में न फंसें और हिंसा को बढ़ावा न दें। ना नबी को न राम को, हिंसा किसी को पसंद नहीं है। पैगम्बर ने कभी इसका समर्थन नहीं किया। बीजेपी अपने हिसाब से लोगों का इस्तेमाल करती है। यह देश के लोगों को जान लेना चहिए।
उन्होंने यह भी मांग की कि नूपुर की गिरफ्तारी हो, नुपूर को जेल भेजा जाना चाहिए। उनसे राजनीति करने का अधिकार और उनकी सरकारी सुविधाएं छीन लेनी चाहिए।
लेकिन जो सड़कों पर हिंसा कर रहे हैं वो मोहम्मद के अनुयायी नहीं हैं। ये मजहम की लड़ाई नहीं हो रही है। ये सियासत हो रही है। लोगों को इसमें फंसना नहीं चाहिए। इससे न तो संविधान को फायदा है न लोकतंत्र को और न ही सच्चे नबी अनुयायी को। इसका फायदा किसे है ये समझने की जरूरत है। नबी साहब या भगवान की रक्षा राजनीतिक पार्टियां न करें। ईश्वर और धर्म के नाम पर राजनीति का मैं विरोध करता हूं। जिन्हें इस्लाम या हिन्दु धर्म से कोई मतलब नहीं हो वो धर्म की बात न करें। मौके पर राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेमचन्द सिंह मौजूद थे।