बड़ा सवाल यह है की क्या ONDC Platform कम्पोजीशन टैक्स Payer को एनरोल करेगा ? दुसरा बड़ा सवाल मन मे यह भी आता है की GST नही लेने का थ्रेशहोल्ड 40 लाख का TURN ओवर है! बिना जी एस टी नंबर के ऑनलाइन एनरोल करेगा ? अगर नही, फिर सरकार की नजर मे छोटा व्यपारी है कौन ? लेख के अंत मे कुछ महत्वपूर्ण सवाल
नई दिल्ली. सरकार ने एक नई तरह के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की शुरुआत की है. दरअसल, भारत में शुक्रवार को 5 शहरों में ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स यानी ओएनडीसी (ONDC) का पायलट चरण शुरू किया गया है. पायलट चरण में 5 शहरों – दिल्ली एनसीआर, बेंगलुरु, भोपाल, शिलांग और कोयंबटूर में 150 खुदरा विक्रेताओं को जोड़ने का लक्ष्य है.
UPI टाइप प्रोटोकॉल की तरह है ONDC
ओएनडीसी एक यूपीआई-प्रकार का प्रोटोकॉल है और इस पूरी कवायद का मकसद तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स क्षेत्र को दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंचाना, छोटे खुदरा विक्रेताओं की मदद करना और दिग्गज ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं के वर्चस्व को कम करना है. यह वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड यानी डीपीआईआईटी (DPIIT) की एक पहल है.
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘यूपीआई के बाद, कॉमर्स को लोकतांत्रिक बनाने के लिए एक और आमूलचूल बदलाव के विचार – ओएनडीसी को आज चुनिंदा उपभोक्ताओं, सेलर्स और लॉजिस्टिक प्रोवाइडर्स के लिए शुरू किया गया. विकल्प, सुविधा और पारदर्शिता की दुनिया के लिए तैयार हो जाइए.’’
After UPI, another game changing idea to democratise commerce – ONDC soft launch today to select consumers, sellers and logistics providers. Get ready for a world of choice, convenience and transparency. pic.twitter.com/47qXVMNJbV
— Piyush Goyal (मोदी का परिवार) (@PiyushGoyal) April 29, 2022
इस पहल का उद्देश्य दो बड़ी बहुराष्ट्रीय ई-कॉमर्स कंपनियों के प्रभुत्व पर अंकुश लगाना है. ये कंपनियां देश के आधे से अधिक ई-कॉमर्स बिजनेस को कंट्रोल करती हैं, बाजार तक पहुंच को सीमित करती हैं, कुछ सेलर्स को तरजीह देती हैं और सप्लायर्स के मार्जिन को कम करती हैं।
डीपीआईआईटी के अतिरिक्त सचिव अनिल अग्रवाल ने इस बारे में ब्योरा देते हुए कहा कि ओएनडीसी मानकों का एक समूह है, जिसे विक्रेता या लॉजिस्टिक प्रोवाइडर्स या पेमेंट गेटवे स्वैच्छिक रूप से अपना सकते हैं.
ओएनडीसी के साथ काम कर रही हैं 80 कंपनियां
इस समय 80 फर्में ओएनडीसी के साथ काम कर रही हैं और वे एकीकरण के विभिन्न चरणों में हैं. ये कंपनियां विक्रेता, खरीदार, लॉजिस्टिक या पेमेंट गेटवे के लिए अपने ऐप बना रही हैं.
मन मे कुछ सवाल जन्म लेता है यह खबर पढ़ कर की सरकार की नजर मे छोटा व्यपारी की परिभाषा क्या है ?
जिनका turn ओवर 40 लाख से कम है उनको GST नम्बर की दरकार नही क्या वो भी ONDC प्लेटफार्म पर एनरोल हो पाएंगे जाहिर है नहीं ! वहीँ कम्पोजीशन स्कीम का थ्रेशहोल्ड है 78 लाख वो भी ऑनलाइन सामन नहीं बेच पाएंगे ! फिर इस Ondc का लाभ मिलेगा किसको ? जाहिर है 1 करोड़ से ज्यादा टर्न ओवर सालाना जिनका होगा उनको एक करोड़ का टर्न ओवर मतलब सालाना अगर प्रॉफिट 10% भी है तो प्रॉफिट 10 लाख मतलब 10 लाख से कम कमाने वाले लोगो को इसका फायदा नहीं मिलेगा ?
बताते चले की यह प्लेटफार्म
नंदन निलाक्नी के देख रेख मे डेवेलोप किया गया है, मगर मुझे कहीं न कहीं यह बात समझ मे नही आई की इस तरह के प्लेटफॉर्म्स से फायदा किसको होगा जो 10 लाख आज कमा रहा है साल का, या 5 लाख ! हमारे गावं के बनिये को इससे लाभ मिलेगा क्या ? जरूरत है देश मे gst के स्ट्रक्चर मे सुधार करने की , मौजूदा दौर मे बहुत सारे प्लेटफार्म पहले से ही मौजूद है , फिर ये नई व्यवस्था किसके लिए ?
सरकार एक तरफ तो कहती है की सरकार का काम कम्पनी चलाना नही वही दूसरी ओर उसे Amazon Flipkart जैसी इ कॉमर्स कम्पनियो को टक्कर भी देना है !
पार्टी फंड मे पैसा नहीं पहुंचा रही ये कम्पनिया या फिर इन कम्पनियो से सरकार को कोई लाभ नहीं ! बहरहाल जो भी हो अब देखने वाली बात यह होगी की कितने किराना दुकानदार इससे लाभान्वित होते है