पटना, 24 अप्रैल सुबोध नंदन सिन्हा ने हवाईयिन गिटारिस्ट के तौर पर अपनी विशिष्ट पहचान बनायी है।
बिहार के पटना सिटी के मालसलामी थाना क्षेत्र के नुरउद्दीन मुहल्ला में वर्ष 1965 में जन्में सुबोध नंदन सिन्हा के पिता बाबू कृष्ण नंदन प्रसाद और मां सुशीला देवी हैं। उनके पिता मेडिसिन व्यापार का काम करते थे। सुबोध नंदन सिन्हा के छोटे भाई प्रमोद नंदन सिन्हा है। बचपन के दिनों से ही सुबोध नंदन सिन्हा की संगीत में रूचि थी और वह इस क्षेत्र में अपना नाम करना चाहते थे। कॉलेज के कार्यक्रम में सुबोध नंदन सिन्हा गाना गाया करते थे। इस दौरान उनका संपर्क स्वीटी नामक एक लड़की से हुआ जो हवाईयिन गिटार बजाया करती थी। सुबोध नंदन सिन्हा ने निश्चय किया है वह भी हवाईयिन गिटार बजाना सीखेंगे।
सुबोध नंदन सिन्हा ने इसके बाद मनोज गुहा से दो वर्ष तक हवाईयिन गिटार बजाना सीखा। इस बीच उनकी शादी तृप्ति सिन्हा से हो गयी। पिता की अकस्मात मृत्यु के बाद सुबोध नंदन सिन्हा ने संगीत के क्षेत्र से किनारा कर लिया और पिता के कारोबार से जुड़ गये। हालांकि करीब दो दशक के बाद सुबोध नंदन सिन्हा ने एक बार फिर से संगीत के क्षेत्र में कदम रखा। उन्होंने प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद से संगीत के क्षेत्र में प्रभाकर किया। सुबोध नंदन सिन्हा के परिवार में दो पुत्र संदीप और सुमित जबकि बेटी रिया सिन्हा है। सुबोध नंदन सिन्हा सुनील गांगुली को अपना आदर्श मानते हैं। सुबोध नंदन सिन्हा ने बताया कि उन्होंने सोनाली नाथ और गीता देव से भी संगीत की शिक्षा ली है और कीबोर्ड प्लेयर सन्नी आस्कर के संगत के प्रभावित हैं।सुबोध नंदन सिन्हा को उनके करियर में मान-सम्मान खूब मिला है। उन्हें बिहार गौरव, बिहार रत्न, पटना साहिब कला सम्मान, पाटलिपुत्रा गौरव अवार्ड, मेघालय में सर्वश्रेष्ठ वादक अवार्ड, बिहार श्री, यूएसए की स्वाति मोहन से सर्वश्रेष्ठ वादकअवार्ड और महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान समेत सैकड़ों अवार्ड मिला है। सुबोध नंदन सिन्हा ने अबतक के अपने करियर के दौरान बिहार के अलावा पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, मेघालय, मध्य प्रदेश समेत कई राज्य में परफार्म किया है।सुबोध नंदन सिन्हा उन चंद हवाईयिन गिटारिस्ट में शामिल हैं जो सुगम संगीत, लोक संगीत, भजन और फिल्म गाने बजाते हैं। सुबोध नंदन सिन्हा रेडियो और दूरदर्शन से ग्रेडेड आर्टिस्ट हैं।