नई दिल्ली, 2 अप्रैल 2025: राज्यसभा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस के अवसर पर सदन को संबोधित किया और आत्मकेंद्रित (ऑटिज्म) से ग्रसित व्यक्तियों के समावेशी विकास और उनके लिए अधिक अवसरों को प्रोत्साहित करने की अपील की।
श्री धनखड़ ने कहा, “यह सदन आत्मकेंद्रित से प्रभावित व्यक्तियों के अधिकारों और उनके कल्याण को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।” उन्होंने इस वर्ष की थीम पर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के तहत न्यूरोडाइवर्सिटी को आगे बढ़ाने पर केंद्रित है।
न्यूरोडाइवर्सिटी के लिए जागरूकता और समर्थन आवश्यक
राज्यसभा अध्यक्ष ने बीजेडी सांसद सुजीत कुमार के एक दिन पहले दिए गए भाषण का संदर्भ देते हुए कहा कि अद्वितीय विकलांगता पहचान पत्र (UDID) की सुविधा के महत्व को रेखांकित किया जाना आवश्यक है। उन्होंने जागरूकता अभियान, शिविरों और सहायक परिवारों के लिए ठोस प्रयास करने की वकालत की।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत में विकलांगता अधिकारों के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचा मौजूद है, जिसमें द राइट्स ऑफ पर्सन्स विद डिसएबिलिटीज एक्ट, 2016 और नेशनल ट्रस्ट्स एक्ट, 1999 शामिल हैं। हालांकि, उन्होंने जोर दिया कि “कानूनी अधिकारों का वास्तविक अर्थ तभी होता है जब वे इच्छित व्यक्तियों तक पहुँचें।”
समावेशी नीतियों और शिक्षा की आवश्यकता
श्री धनखड़ ने कहा कि समावेशी व्यावसायिक प्रशिक्षण और शिक्षा सार्थक अवसर पैदा कर रहे हैं, लेकिन इस दिशा में और अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें जागरूकता अभियानों, शुरुआती हस्तक्षेप, विशेष विकलांगता शिविरों और समावेशी नीतियों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
उन्होंने सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) विशेष रूप से:
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गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (Quality Education)
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सभ्य कार्य (Decent Work)
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कम असमानता (Reduced Inequality)
से जुड़े प्रयासों को मजबूत करने की अपील की। उन्होंने कहा कि “यह हमारी समावेशिता के प्रति प्रतिबद्धता को और अधिक ठोस बनाएगा।”
“भारत समावेशी समाज की ओर बढ़ रहा है”
अपने संबोधन के अंत में उन्होंने कहा, “भारत आत्मकेंद्रित से प्रभावित व्यक्तियों के लिए एक न्यायसंगत समाज बनाने के लिए दृढ़ता से खड़ा है।”
यह भाषण देश में न्यूरोडाइवर्सिटी, समावेशी शिक्षा और विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत देता है। इससे उम्मीद है कि आने वाले समय में नीतियों के कार्यान्वयन में तेजी लाई जाएगी और आत्मकेंद्रित व्यक्तियों को और अधिक सशक्त बनाने के लिए नए कदम उठाए जाएंगे।