जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 08 फरवरी, 2025 ::

‘चम्बल का शौर्य’

पवन सक्सेना
                                         पवन सक्सेना

द्वारा लिखी गई अनगिनत गुमनाम क्रांतिकारियों के संघर्ष और साहस को समर्पित पुस्तक है। जिसमें उनकी शौर्य गाथा को बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया गया है।

‘चम्बल का शौर्य’ चम्बल घाटी के उन महान देशभक्तों की शौर्य गाथाओं का उल्लेख किया गया हैं, जिनका योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अमूल्य है। इस पुस्तक को पढ़कर निश्चित ही उन वीरों के अदम्य साहस और बलिदान को और करीब से जान सकेंगे। यह पुस्तक एक अनमोल धरोहर के रूप में संग्रहणीय है।

चम्बल के नाम से ही अक्सर लोगों के मन में घोड़ों की टाप, गरजती बंदूक, थर्राते बीहड़, दुनिया जहान को नजर आने लगते हैं। जबकि हकीकत में यह सच नहीं है। इसे प्रमाणित किया है पवन सक्सेना ने।

पवन सक्सेना ने बताया है कि शौर्य, पराक्रम और स्वाभिमान की प्रतीक चम्बल घाटी के डाकुओं के आतंक ने भले ही हमारे देश की कई सरकारों को कई दशकों तक हिलाया हो लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि हृदय परिवर्तित होने पर चम्बल के इन्हीं बागियों ने दमनकारी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ क्रांतिकारियों को न केवल हथियार व गोला बारूद मुहैया कराए बल्कि उन्हें सुरक्षित आश्रय देकर आजादी की लड़ाई में कंधे से कंधा मिला कर साथ भी दिया। ऐसे ही अनगिनत गुमनाम क्रांतिकारियों को समर्पित है “चम्बल का शौर्य”।

लेखक पवन सक्सेना एक कुशल कलाकार तो हैं ही, साथ में वह इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया में लेखन कार्य का भी लंबा अनुभव रखते है।
उन्होंने रियलिटी शो “डांसिंग स्टार” के अलावा सावधान इंडिया, क्राइम पेट्रोल, संत नरसी, नो अबाउट नन जैसे कई प्रसिद्ध हिंदी धारावाहिकों का लेखन किया है।
सिनेमा जगत की मासिक पत्रिका फिल्म टुडे और राजनीतिक पत्रिका आई ओपनर का भी पवन सक्सेना ने कई वर्षों तक संपादन किया है। विभिन्न मुद्दों पर आधारित उनके लेख भी समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं।

पवन सक्सेना को सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित जसराज, बांसुरी वादक पंडित हरि प्रसाद चौरसिया, आचार्य पंडित सुखदेव महाराज एवं उनकी पुत्री कत्थक क्वीन सितारा देवी,पंडवानी गायिका तीजन बाई पर लिखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। अन्ना आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाते हुए उन्होंने वॉइस ऑफ कॉमन मैन समाजसेवी संगठन का सृजन भी किया गया।

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय शिविर से प्रशिक्षित पवन सक्सेना को आकाशवाणी,दूरदर्शन एवं कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा उत्कृष्ठ कार्य के लिए सम्मानित किया गया है।

नाट्य क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए बीकेसी, इस्कॉन मुंबई द्वारा राधाकृष्ण उत्सव 2008 में सम्मानित किया।

साहित्य अकादमी,मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग द्वारा पवन सक्सेना को वर्ष 2018 में कृति चम्बल का शौर्य के लिए अखिल भारतीय नरेश मेहता पुरुस्कार से सम्मानित किया गया।

नई दिल्ली में जीकेसी द्वारा हिंदी सिनेमा में सक्रिय योगदान के लिए 2022 का महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान पुरुस्कार भी प्राप्त हुआ।

कामगार यूनियन गोरेगांव,मुंबई द्वारा पुस्तक चम्बल का शौर्य के प्रकाशन के लिए “धड़क सम्मान 2024” से सम्मानित किया गया।

2025 के भारत मंडपम नई दिल्ली के विश्व पुस्तक मेले में भी वनिका पब्लिकेशन द्वारा पवन सक्सेना की कृति “चम्बल का शौर्य” विश्व पटल पर रखा गया।

वर्तमान में भी पवन सक्सेना की कलम अनवरत साहित्य एवं संस्कृति विरासत को सहेजने में कार्यरत है। वेब सीरीज और धारावाहिकों के साथ कुछ गंभीर मुद्दों पर उनकी पुस्तक भी प्रकाशित होने वाली है।
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