लेखक: अवधेश झा
भारतीय ज्ञान परंपरा का आधार सदैव आध्यात्मिकता में निहित रहा है। यह परंपरा मानती है कि आध्यात्मिक उन्नति के बिना भौतिक विकास अधूरा और अस्थायी है। दृश्य जगत में जो कुछ भी दिखाई देता है, वह इंद्रिय ज्ञान तक सीमित है, जबकि आत्मा और ब्रह्म का ज्ञान उससे परे है। भारतीय ज्ञान परंपरा का यही मूल उद्देश्य रहा है—आध्यात्मिक और भौतिक जगत को सामंजस्यपूर्ण तरीके से उन्नत बनाना।
पूर्व न्यायाधीश जस्टिस राजेंद्र प्रसाद के अनुसार, भारतीय शिक्षा का मूल उद्देश्य ब्रह्म और आत्मा का बोध कराना था। संस्कृत, जो देवताओं की भाषा मानी जाती है, ज्ञान का प्रमुख माध्यम थी। शास्त्रों और वेदों की रचनाएं इसी भाषा में थीं, जो ब्रह्म को दर्शाती थीं। यह ज्ञान आत्म-केंद्रित और शाश्वत था, जो तकनीकी या भौतिक तत्वों पर निर्भर नहीं करता था।
आधुनिक शिक्षा का प्रभाव और भारतीय परंपरा का योगदान
समय के साथ, भारतीय ज्ञान परंपरा में परिवर्तन आया, और आधुनिक शिक्षा का प्रभाव बढ़ा। हालांकि, जस्टिस प्रसाद के अनुसार, आधुनिक शिक्षा हमारी प्राचीन ज्ञान परंपरा का ही एक स्वरूप है। भारतीय ज्ञान विश्व कल्याणकारी और लोक कल्याणकारी है, जो किसी भी अन्य ज्ञान प्रणाली का विकल्प नहीं है।
वेद और उपनिषद: भारतीय ज्ञान की नींव
वेद, जिन्हें अपौरुषेय और ब्रह्म सत्य माना गया है, भारतीय ज्ञान परंपरा का आधार स्तंभ हैं। वेदों का उद्देश्य व्यक्ति के आंतरिक और बाहरी पहलुओं को एकीकृत करना है। उपनिषद, जो वेदों के सर्वोच्च विचार हैं, आत्मा और ब्रह्म पर केंद्रित हैं। धर्मशास्त्र और पुराण इस ज्ञान प्रणाली की प्रमाणिकता को दर्शाते हैं, जो धार्मिक आचरण, न्यायशास्त्र और जीवन के अन्य पहलुओं को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
ज्ञान परंपरा और जीवन दर्शन
शास्त्रों के अनुसार, “श्रेय” (कल्याणकारी) और “प्रेय” (आनंददायक) का विवेक करना मानव जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य है। बुद्धिमान व्यक्ति आनंददायक के बजाय कल्याणकारी विकल्प चुनता है, क्योंकि सुख क्षणिक है और अच्छाई स्थायी।
भारतीय ज्ञान परंपरा का वैश्विक महत्व
आज की विश्व परंपराएं भौतिक सुख और प्रगति पर आधारित हैं, लेकिन भारतीय ज्ञान परंपरा आत्मिक चेतना, योग और जीवन के गूढ़ रहस्यों पर आधारित है। यह न केवल वर्तमान जीवन को बल्कि जीवन के पूर्व और बाद की स्थितियों को भी समझने का मार्गदर्शन करती है।
इस प्रकार, भारतीय ज्ञान परंपरा न केवल भारत का गौरव है, बल्कि यह सम्पूर्ण विश्व के लिए जीवन दर्शन का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करती है। यही हमारी संस्कृति और परंपरा का शाश्वत संदेश है।