जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना
(सोनपुर), 22 नवंबर ::
कला, संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा आयोजित ऐतिहासिक हरिहर क्षेत्र महोत्सव में लब्ध प्रतिष्ठित कत्थक नृत्यांगना डॉ रमा दास ने श्रीराम और कृष्ण कथा पर आधारित कत्थक नृत्य से दर्शकों को मन्त्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने राम और कृष्ण पर अनेक साहित्यकारों की एक से एक रचनाएँ प्रस्तुत की और उनकी छवियों को हस्तक -मुद्राओं से उकेरा।
बिहार सरकार द्वारा प्रदत्त ‘अंबपाली पुरस्कार’ तथा चंडीगढ विश्वविद्यालय द्वारा दिए गए ‘लाइफटाइम अचीवमेंट एवार्ड’ से पुरस्कृत डाॅ रमा दास बिहार की वरिष्ठ कत्थक नृत्यांगना हैं। इन्होंने 70के दशक में अपनी नृत्य यात्रा शुरू की थी और जीवन का पहला ही कार्यक्रम पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हौल मे आयोजित पंडित विष्णु दिगंबर पलुस्कर जयंती समारोह से किया था, जिसमें इन्होंने संयुक्ता पाणिग्रही, यामिनी कृष्णमूर्ति और किशोरी अमोणकर सरीखे कलाकारों के साथ मंच साझा किया था। इन्होने बिहार के सभी प्रतिष्ठित महोत्सवों, राजगीर महोत्सव, वैशाली महोत्सव, बुद्ध महोत्सव, विश्वामित्र महोत्सव, विक्रमशिला महोत्सव तथा बिहार महोत्सव के साथ ही देश भर के सभी प्रतिष्ठित महोत्सवों में अपने शास्त्रीय नृत्य प्रदर्शन से बिहार के लिए प्रशंसा बटोरी है।
दूरदर्शन पटना केन्द्र के शास्त्रीय नृत्य ऑडिशन बोर्ड की जूरी मेंम्बर रही हैं तथा प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद, चंडीगढ विश्वविद्यालय तथा इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ की नृत्य परीक्षक भी रही हैं। दूरदर्शन के साथ ही फिल्मो से भी इनका जुडाव रहा है। बिहार सरकार द्वारा निर्मित हिन्दी फिल्म ‘विद्यापति’ में इन्होंने महाराज शिवसिंह के राज दरबार की राजनर्तकी की भूमिका भी निभाई थी।
डॉ रमा दास ने अपने कार्यक्रम के आरंभ में कहा कि हरिहर क्षेत्र महोत्सव में मेरा यह पहला कार्यक्रम है। यह एक ऐतिहासिक भूमि है और इस आध्यात्मिक नगरी में आकर मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। आशा है यहां मुझे सभी का स्नेह मिलेगा।
डॉ रमा दास ने कहा कि वे वर्षो से गज-ग्राह से जुड़ी कथा अपने कत्थक नृत्य के माध्यम से करती आ रही हैं। मीराबाई की रचना ‘ हरि तुम हरो जन की पीर…डूबतो गजराज राख्यो, कियो बाहर नीर’ उनके कत्थक प्रस्तुतिकरण का मुख्य हिस्सा रहा है और आज उसी भूमि पर कार्यक्रम करना सौभाग्य की बात है।
उन्होंने अपने नृत्य का आरंभ गणेश वंदना, ‘हे गजवदना, वक्रतुण्ड महाकाय’ से किया जिसे उन्होने अपनी शिष्याओं संग प्रस्तुत किया। इसके बाद श्रीराम और कृष्ण पर आधारित रचनाएं, ‘सखि मेरो मार्ग रोक्यो कान्हा’ प्रस्तुत किया। इसके बाद कत्थक का एक सुदर अंग, तराना प्रस्तुत किया और कार्यक्रम का समापन श्री राम पर आधारित एक रचना, ‘कष्टहरण तेरी नाम राम हो कमलनयन वाले राम’ से की। इस रचना में सुंदर मुद्राओं और भाव भंगिमाओं के साथ साथ-साथ जो अभिनय किया उन्होंने, वह दर्शकों को भाव विभोर कर गया। श्री राम के व्यक्तित्व के अनेक पक्षों को दिखाती उनकी कई छवियां प्रस्तुत की डाॅ रमा ने। हर छवि की अलग मुद्रा और अलग भाव भंगिमा थी जो दर्शको को बहुत देर तक मन्त्रमुग्ध किए रहीं।
डॉ रमा दास के साथ थी इनकी शिष्याएं, रिमझिम कुमारी, सांची सेजल, रिया और राजलक्ष्मी।
कार्यक्रम के दौरान सभागार में दर्शकों की बड़ी संख्या में मौजूदगी रही। इस दौरान कला संस्कृति तथा युवा विभाग, पर्यटन विभाग, तथा अन्य कई विभागों के अधिकारी वहां मौजूद रहे।
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