जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 29 सितम्बर ::

“बच्चों में होने वाली आटिज्म जैसी बीमारी के लिए पूरी तरह से अभिभावक जिम्मेवार हैं” यह उद्गार “इंडियन एविएशन अकादमी, नई दिल्ली आडिटोरियम में 28 एवं 29 सितम्बर 2024 को द्वितीय इंडियन न्यूरो रिहैबिलिटेशन कांफ्रेंस ऑफ आक्यूपेशनल थेरेपी द्वारा आयोजित सम्मेलन में संस्था के सचिव डॉ प्रियदर्शी आलोक ने व्यक्त किए। उक्त सम्मेलन का आयोजन संस्था के सचिव डॉ प्रियदर्शी आलोक एवं चेतना फाउंडेशन के निदेशक डॉ संतोष कुमार के नेतृत्व में किया गया।

सम्मेलन का उद्‌घाटन संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर ऑल इंडिया आक्यूपेशनल थेरेपी एसोसिएशन के डॉ पंकज बाजपेयी एवं “National Institute Of Locomotor Disabilities” कलकत्ता के निदेशक डॉ ललित नारायण ने किया।

संस्था के सचिव डॉ प्रियदर्शी आलोक ने अतिथियों का स्वागत करते हुए अपने संबोधन में प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात से अब तक आक्यूपेशनल थेरेपी की विधा में हुए रिसर्च एंव डेवलपमेंट के संदर्भ में उपस्थित डेलीगेट्स को विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि आजकल बच्चों में होने वाली आटिज्म जैसी बीमारी के लिए अभिभावक जिम्मेवार हैं। अपनी व्यस्तता के कारण बच्चों को समय नहीं देते हैं और अपना पिंड छुड़ाने के लिए मोबाइल या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण पकड़ा देते हैं। बच्चे का दिमाग अपरिपक्व रहने के चलते मोबाइल पर होने वाले गेम को सही तरह से एडाप्ट नहीं कर पाते हैं । उनका दिमाग मोबाइल की स्पीड से चलने लगती है जिसके चलते वे हाइपर एक्टिव हो जाते हैं। आज बच्चे आउटडोर गेम्स पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं जिससे उनका शारीरिक एवं मानसिक विकास ठीक से नहीं हो पा रहा है। इसलिए अभिभावकों से अनुरोध है कि वे अपने बच्चों को आउटडोर गेम्स में व्यस्त रखें। ज्वाइंट आर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ संतोष कुमार ने वर्तमान में न्यूरोलॉजी के क्षेत्र में हुए प्रगति पर प्रकाश डाला।

मुख्य अतिथि डॉ ललित नारायण सहित अन्य वक्ताओं ने अपने – अपने सारगर्भित एवं ज्ञानवर्धक विचार रखे। इसके उपरांत विशिष्ट योगदान देने वाले चिकित्सकों को सम्मानित किया गया।सम्मान समारोह में डॉ पंकज बाजपेयी को “लाइफ टाइम एक्चीवमेंट “अवार्ड से सम्मानित किया गया। डॉ अभय कुमार जायसवाल को “Best Academician “अवार्ड (Senior Category), डॉ उदय कुमार को “Best Academician” अवार्ड, डॉ. ललित नारायण को “Professional Excellency” अवार्ड दिया गया।

दस वैज्ञानिक सत्र का आयोजन हुआ जिसमें देश के कुल 31 विशेषज्ञों ने भाग लिया। इन विशेषज्ञों ने अपने किए गए शोध पर सारगर्भित एवं ज्ञानवर्धक विचार व्यक्त किये।
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