२४ सितम्बर नेहाय खाय
२५ सितम्बर व्रतोपवास
२६ सितम्बर प्रातः पारण
सौभाग्यकाँक्षिणी स्त्रियों के लिए सौभाग्य एवं दीर्घजीवी संतानों के निमित्त जीवित्पुत्रिका(जिउतिया)का अहम स्थान है।शास्त्रोक्त वचन एवं पंञ्चाङ्गो पर विचारणीय तथ्य है कि अष्टमी का उपभोग काल कितना है और क्या नियम है?
मार्तण्ड , व्रजभूमि , बद्रीकाशी , शताब्दी , दृक्सिद्ध पञ्चाङ्गो में अष्टमी का भोग दोपहर बाद से दूसरे दिन दोपहर बाद तक अष्टमी दिखाते हुए पहले दिन व्रतोपवास का समर्थन है।
वाराणसीय पञ्चाङ्गो में अष्टमी की स्थिति
हृषीकेश प्रथम दिन शाम 05:57 से दूसरे दिन शाम 04:57 तक।
महावीर प्रथम दिन शाम 05:57 से दूसरे दिन शाम 04:56 तक।
आदित्य प्रथम दिन शाम 05:38 से दूसरे दिन शाम 04:37 तक।
विश्व प्रथम दिन शाम 05:53 से दूसरे दिन शाम 04:52 तक।
अन्नपूर्णा, हनुमान प्रथम दिन शाम 05:56 से दूसरे दिन शाम 04:55 तक।
गणेशापा प्रथम दिन शाम 05:49 से दूसरे दिन शाम 05:01 तक।
मिथिला प्रथम दिन शाम 06:06 से दूसरे दिन 05:05 तक।
एक और शास्त्रोक्त वचन ——–
आश्विनस्यस्य सिताष्टभ्याँ या स्त्रियोन्नभ्भुञ्जते।
मृतवत्सा भवेयुस्ता विधवा दुर्भगा ध्रुवम्।।
यह कथनानुसार आश्विन कृष्ण व्याप्त अष्टमी तिथि में जो स्त्रियाँ अन्न खाती है , वे मृतवत्सा विधवा किं वा अभागिनी होती हैं।
अतः ग्रन्थों के मंथन बाद स्पष्ट होता है कि 24 सितम्बर 2024 को नेहाय-खाय करें 5 बजे शाम तक अन्न ले बाद फलाहार होकर विधि पूर्ण करें।
25 सितम्बर 2024 व्रतोपवास शाम 04:45 के पूर्व पूजा कर लें।
26 सितम्बर 2024 प्रातः सूर्योदय (गया जी में 05:44) बाद पारण र्निभ्रान्त रुप से किया जाए।
शुभम्
जय माँ पीताम्बरा
आचार्य नवीन चन्द्र मिश्र
गया धाम , गया
9430071590 / 7488976003