उच्चतम न्यायालय ने 5 अगस्त को दिल्ली में भारी बारिश के दौरान राजिंदर नगर कोचिंग सेंटर के बाढ़ग्रस्त बेसमेंट में फंसे तीन सिविल सेवा अभ्यर्थियों की डूबने से हुई मौत के मामले में स्वत: संज्ञान लिया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की खंडपीठ ने टिप्पणी की, “हमें नहीं पता कि दिल्ली या भारत संघ द्वारा अब तक क्या प्रभावी उपाय किए गए हैं। हाल ही में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं, जिनमें कुछ युवाओं की जान चली गई, जो अपने करियर के लिए कोचिंग सेंटरों में शामिल हुए थे, सभी के लिए आंखें खोलने वाली हैं।”
पीठ ने शहरी मामलों के मंत्रालय और दिल्ली सरकार के माध्यम से केंद्र को नोटिस जारी किया।
प्राधिकारियों से कहा गया है कि वे ऐसी मौतों को रोकने के लिए सुरक्षा तंत्र को रिकार्ड पर लाएं तथा यह सुनिश्चित करें कि राष्ट्रीय राजधानी में कोचिंग सेंटरों के कारण युवाओं का जीवन खतरे में न पड़े।
न्यायमूर्ति कांत ने मामले की गंभीरता पर जोर देते हुए पूछा, “देश भर से छात्र दिल्ली में पढ़ाई करने आते हैं और अब वे अपनी जान गंवा देते हैं?”
कुछ दिन पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने तीनों मौतों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी थी।
उच्च न्यायालय ने डूबने की घटना पर पुलिस और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को फटकार लगाते हुए कहा था कि वह यह समझ पाने में असमर्थ है कि छात्र बाहर कैसे नहीं आ सके।
याचिका में पूछा गया है कि एमसीडी अधिकारियों ने क्षेत्र में खराब वर्षा जल निकासी नालियों के बारे में आयुक्त को सूचित क्यों नहीं किया।