जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 30 अप्रैल ::
वाराणसी में अस्सी क्रॉसिंग पर एक छोटा सा चाय दुकान है, जिसका नाम पप्पू चाय दुकान है, जहां लोग चाय पीने के लिए चाय बनने का इंतजार करते हैं और नम्बर आने पर उन्हें चाय मिलता है। इस चाय दुकान में दो प्रकार का चाय बनाया जाता है। एक बार दूध का चाय, फिर दूसरी बार नींबू मसाला का चाय। जिन्हें नींबू मसाला चाय पीना होता है और नींबू की चाय यदि बन रही है तो उन्हें बन रही नींबू चाय में से चाय नहीं मिलेगी, क्योंकि जो चाय बनती रहती है उतने लोग उस चाय को पीने के लिए इंतजार करते रहते है। इतना ही नहीं, नींबू चाय बनने के बाद दूध की चाय बनती है और दूध की चाय पीने वाले लोग भी नम्बर लगा कर खड़े रहते है। दूध की चाय बनने के बाद नींबू की चाय बनती है और यह सिलसिला लगातार चलता रहता है और उसी प्रकार चाय पीने वालों की नम्बर लगता रहता है। दूध के बाद नींबू और नींबू के बाद दूध की चाय बनती रहती है। चाय पीने वाले लोग सहज रूप से अपनी बारी आने का इंतजार करते है, कोई आपा-धापी नहीं होता है।
पप्पू चाय दुकान पर चाय बनाने का तरीका भी अन्य चाय दुकान से भिन्न है। दूध का चाय बनाने के लिए सबसे पहले दूध को सही तरीके से उबालते है यानि खौलाते है। उसमें इलाइची वगैरह डाल देते है। फिर गिलास को गर्म पानी से धोते है, उसके बाद गिलास में चीनी डालते है, फिर गर्म दूध को ग्लास में डालते है, उसके बाद कपड़े में चाय की पोटली को गिलास के ऊपर से गर्म पानी बहुत धीमी धार से पोटली पर डालते है, पोटली से गिरने वाली धार चाय गिलास में गिरता है यानी इस माध्यम से दूध में चाय का अर्ख डालते है, चाय के अर्ख की धार इतनी धीमी होती है कि उससे पानी का असर चाय के दूध में नहीं दिखती है, न देखने में और न ही चाय पीने में। चाय बहुत ही स्वादिष्ट रहता है।
मसालेदार नींबू की चाय भी उसी प्रकार बनता है। नींबू के चाय में भी अलग से सिर्फ पानी को खौलाया जाता है, फिर गिलास को गर्म पानी से धोया जाता है, उसके बाद गिलास में चीनी डाला जाता है, फिर नींबू को निचोड़ कर नींबू का रस, फिर मसाला जिसमें हाजमोला भी रहता है, उसके बाद पतली पतली कटा हुआ अदरख और पुदीना के कुछ पत्ते, उसके बाद कपड़े में बंधे चाय (चाय की पोटरी) को गिलास के ऊपर से गर्म पानी डालते हुए बहुत धीमी धार से चाय तैयार होता है।
पप्पू चाय दुकान को सबसे पहले बलदेव सिंह चलाते थे। उसके बाद उनका बेटा पप्पू चलाने लगा और पप्पू अपना नाम से दुकान का नाम प्रचलित किया जो आज पप्पू चाय दुकान के नाम से प्रसिद्ध है। अब इस दुकान को उनका बेटा सतीश चला रहा है। सतीश अपने पीढ़ी का तीसरा पीढ़ी है। इस प्रकार यह चाय दुकान लगभग 84 वर्ष पुराना है।
पप्पू चाय दुकान की चाय का मजा देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी लिया है। जब नरेन्द्र मोदी वर्ष 2022 में काशी विश्वनाथ मंदिर से बीएचयू जा रहे थे तो जाते वक्त इस दुकान में रुककर चाय की चुस्की ली थी और वहाँ पर बैठे लोगों से देश के राजनीति पर चर्चा की थी और खुद के सरकार के काम काज का फीडबैक भी लिया था। इस दौरान उन्होंने 3 बार चाय की चुस्की ली, जिसमें दो बार दूध की और एक बार मसाले वाली चाय की।
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