स्पेसडॉटकॉम से बातचीत में प्रोजेक्ट सहयोगी वेल फराह ने कहा कि उन्होंने ना सिर्फ वाव सिग्नल के आसपास के क्षेत्र की जांच की, बल्कि आकाश में उन क्षेत्रों को भी टटोला, जहां तारकीय घनत्व (stellar densities) अधिक है। इनमें गैलेक्टिक सेंटर और गैलेक्टिक डिस्क भी शामिल है। हालांकि अभी कई और तारे हैं, जिन्हें खोजे जाने की जरूरत है।
वाव सिग्नल को ‘एलियन ब्रॉडकास्ट’ भी कहा जाता है। यह सिग्नल 15 अगस्त 1977 को ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में बिग ईयर टेलीस्कोप ऑब्जर्वेट्री ने रिसीव किया था। इसे वाव नाम मिला। खगोलशास्त्री जेरी एहमैन ने इसे यह नाम दिया था। बताया जाता है कि करीब 1 मिनट और 12 सेकंड तक यह सिग्नल स्पॉट हुआ था।
माना जा रहा था कि हमारी आकाशगंगा में एक ऐसी बुद्धिमान सभ्यता है, जो खुद के बारे में बताना चाहती है। संभवत: उसी ने सिग्नल ने ब्रॉडकास्ट किया था। हालांकि अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ने बताया था कि रिसर्चर्स ने बार-बार उस जगह पर खोज की, जहां सिग्नल मिला था, लेकिन उन्हें कुछ हाथ नहीं लगा। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है, जिस जगह से इस सिग्नल के आने का अनुमान लगाया गया था, वहां से भी वैज्ञानिकों को कोई क्लू नहीं मिला। लेकिन वैज्ञानिकों ने इस सिग्नल को पूरी तरह खारिज नहीं किया है। उनकी तलाश जारी है।
सिग्नल के बारे में खास बात है कि इसे जेरी एहमन ने डिकोड किया था। सिग्नल को डिकोड करने के बाद उन्होंने एक खास कूट साइन- 6EQUJ5 पर लाल रंग से घेरा बनाकर उसके पास Wow! लिख दिया था।
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