किसी ने मुझे पूछा बताओ मिथिला और मगध की धरती में क्या फर्क है ?
मैने मुस्कुरा कर बस इतना कहा
मगध में जिस दुकान पर रोज पान खाता था
वो अगर पैसे नही हुए तो हिसाब में लिख देता था ,
मिथिला की धरती पर जिस दुकान पर यदा कदा भी जाता हु ,
वो सिर्फ पान खिलाता है पैसे कभी भी नही मांगता न हिसाब रखता है
बस पूरी शिद्दत के साथ पान बनाकर खिलाता है ,
और जब वो अपना धर्म इतनी सिद्दत्त से निभाता है
फिर मैं अपने धर्म को कैसे भुल सकता हु ?
हिसाब भी मैं ही रखता हु खाता भी मेरे ही दिमाग में रहता है
न कभी उसने पैसे मांगे है
और न ही बताया कि इतने पैसे हो गए हैं ,
धर्म और दिलदारी सिखनी हो तो मिथिला से मिलिए
हिसाब किताब सीखना हो तो मगध से मिलिए ।
वो गणित सिखाता वो आर्यभट की धरती है,
मिथिला अध्यात्म से मिलाता है
ये माँ सीता की धरती है
यहाँ पर मधुबनी पेंटिंग भी है
दरभंगा हाउस मगध में है
दरभंगा महराज मिथिला में है
और भी है दोनों की विशेषताए क्या क्या बताऊँ ?
दोनो का संगम बिहार की संस्कृति में चार चांद लगाता है
बस भाई साहेब यही फर्क है मिथिला और मगध में ,
व्यापार का ज्ञान मगध में मिलेगा ,
अध्यात्म, संस्कार और अतिथि सत्कार विशेष रूप से मिथिला में मिलेगा
बिहार अपने आपने आप में बड़ा ही खूबसूरत है । आइए न हमरे बिहार में ।
नोट :- विचार पूर्णतः निजी अनुभव पर अब इसमें से आप मोहब्बत निकालिए, नफरत निकालिए या कुंठा ये आप पर निर्भर करता है
हो सकता है आपका अनुभव मुझसे जुदा हो मगर जो दोनो जगह रहा है वही उचित मूल्याकन कर सकता है ।